अगर एक लाख है आपकी सालाना इनकम, तो उठाना पड़ेगा ये नुकसान

Samachar Jagat | Monday, 27 Mar 2017 04:59:10 PM
If one lakh is your annual income,This loss

जयपुर। राजस्थान के ऐसे लोगों के लिए बुरी खबर है जिनकी सालाना इनकम एक लाख रुपए है। क्योंकि ऐसे लोग अब अपने बच्चों को आरईटी के तहत विद्यालयों में एडमिशन नहीं करा पाएंगे। राजस्थान सरकार ने कड़ा फैसला लेते हुए यह आदेश जारी किया है।

जानकारी के अनुसार राजस्थान में शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश के नियमों में सरकार ने बदलाव किया है। इस बदलाव के बाद अब जिन परिजनों की एक साल की इनकम एक लाख रुपए या उससे अधिक है उन परिजनों के बच्चों को आरटीई के तहत स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश नहीं दिया जाएगा। 

पिछले साल बीपीएल परिवारों को लेकर निकले थे आदेश

पिछले साल भी राजस्थान सरकार ने आरटीई के नियमों में बदलाव करते हुए नए नियम बनाए थे। इन नए नियम के अनुसार सिर्फ बीपीएल परिवारों सहित कुछ विशेष जातियों के बच्चों को ही विद्यालय में नि:शुल्क प्रवेश दिए थे। इस नियम के कारण कई ऐसे अभिवावक थे जो अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवा पाए थे।

लेकिन सरकार ने इस साल भी आरटीई के नियमों में बदलाव किया है। इस नए नियम के तहत बीपीएल परिवार की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। लेकिन आरटीई के तहत प्रवेश के लिए आया सीमा घटकार एक लाख रुपए कर दी है। इस नियम के बाद अब एक लाख रुपए सालाना आय वाले परिजन अपने बच्चों को निशुल्क नहीं पढ़ा सकेंगे। इस नियम को सरकार की मंजूरी मिलने के बाद इसका नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा।

25 प्रतिशत सीटों पर नि:शुल्क प्रवेश देना जरूरी

आरटीई के तहत निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश का प्रतिशत डिसाइड किया गया था। इसके तहत निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए 25 प्रतिशत सीटों का निर्धारण किया गया था। सरकार के आदेश के बाद स्कूल की कुल भरी हुई सीटों में से 25 प्रतिशत सीटों में आरटीई के तहत एडमिशन देना जरुरी था। इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा इन बच्चों की फीस स्कूलों को दी जाती थी। 

पहले आया सीमा थी 2.5 लाख

आरटीई के तहत स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश दिलाने को लेकर पिछली साल आया सीमा 2.5 लाख रुपए निर्धारित की गई थी। लेकिन विरोध होने पर इस सीमा को हटकार बीपीएल परिवारों के बच्चों को ही आरटीई के तहत नि:शुल्क प्रवेश देने का नियम बनाया था। आय सीमा का यह मामला कोर्ट तक जा पहुंचा था और बाद में कोर्ट के आदेश के बाद इस नियम में बदलाव किया गया।
 



 

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