जयपुर। राजधानी जयपुर समेत प्रदेश राजस्थान और अन्य राज्यों में भ्रूण हत्या के खिलाफ ऑपरेशन डिकॉय के अगुवा IAS नवीन जैन ने एक और भावनात्मक पोस्ट सोशल मीडिया पर सांझा की है। जैन फिल्हाल नेशनल हैल्थ मिशन में (एनएचएम) निदेशक के पद पर कार्यरत हैं लेकिन कोख के कातिलों को सलाखों के पीछे ले जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी अदा कर रहे हैं।
इससे पूर्व भी आईएएस नवीन जैन ऐसी ही एक भावनात्मक पोस्ट सोशल मीडिया के मार्फत सांझा की थी जिसे काफी लोगों द्वारा पढ़ा गया और उनके कार्यों को सराहा गया। नवीन जैन ने अपने फेसबुक वॉल पर जारी कर इस पोस्ट में यह साझा किया है कि कैसे भ्रूण लिंग की जांच और हत्या करने के गिरोह में शामिल कथित डॉक्टर गर्भवति महिलाओं को झांसे में लेते हैं ऐसे कृत्य को अंजाम देते हैं।
आईएएस नीवन जैन की Facebook वाल से
आज आपके साथ कुछ जानकारी शेयर कर रहा हूँ। जानकारी जिसे आपको जानना बहुत जरूरी है। में डॉक्टर नही हूँ और ना मेडिकल की टर्म में कोई टेक्नीकल आदमी पर कोशिश कर रहा हूँ कि बच्चे के माँ के गर्भ में होते विकास को आपसे साझा करू।
पहला सप्ताह
निषेचित अण्डा मां गर्भ में प्रवेश करता है। इसी के साथ होती है एक नये जीवन की शुरूआत। नए कल की शुरुआत। शायद इस खबर से घर में सभी खुश होंगे। बच्चे के माँ बाप सबसे ज्यादा।
दूसरा सप्ताह
नया जीवन मां से पोषण प्राप्त करने की शुरूआत करता है।
तीसरा-चौथा सप्ताह
गर्भ में बच्चे की आंखे आकार लेना शुरू करती है साथ ही रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क, पेट, जिगर, और गुर्दों विकसित होने लगते है। दिल पंप के साथ धड़कने की शुरूआत करता है।
चौथा सप्ताह
बच्चे का सिर बनना शुरू हो जाता है। रीढ़ की हड्डी पूरी तरह बन कर तैयार हो चुकी होती है। हाथ और पैरों के विकसित होने की शुरूआत होने लगती है। दिल का धड़कना लगातार जारी रहता है।
पांचवा सप्ताह
छाती और पेट आकार लेते है और आंखों के साथ रेटीना और लेंस बनना तथा कान व अंगुलियों का बनना शुरू हो जाता है।
छठवां-आठवां सप्ताह
चेहरे, मुंह, जीभ, सिर व मस्तिष्क सहित सभी अंग पूरी तरह विकसित होकर काम करने लगते हैं। अब बच्चा बात करने पर प्रतिक्रिया देता है।
आठवां सप्ताह
बच्चे के अंगुलियों के निशान बनने लगते है। ठीक वैसे ही फिंगर प्रिंट जैसे किसी 80 साल के बुजुर्ग के होते है।
ग्यारहवें-बारहवें सप्ताह
बच्चे के शरीर के सभी अंग पूर्ण विकसित होकर काम करने लगते है। अब बच्चा दर्द को भी महसूस कर सकता है। ठीक वैसा ही दर्द महसूस कर सकता है जैसा हम और आप।
तीन महीने बाद
बच्चा अब अपने पूर्ण स्वरूप में हैं। अपने विकास के क्रम में है। उसका शरीर विकसित हो रहा है परंतु उधर उसकी मां व चिकित्सक लिंग जांच के बाद ये चर्चा कर रहे है कि उसे कैसे मारा जाये।
अपनी ही मां और परिवार की सहमति से बच्चे को गर्भ में कैसे मारा जाता है, वो भी जरा यहाँ पढ़े।
इसके चार बड़े क्रूर और अमानवीय तरीके है। अक्सर महिलाओं को इस क्रूरता में शामिल करने के लिए डॉक्टर और घरवाले ये कहते है कि अभी तो गर्भ में पल रहे बच्चे में जान ही नही है। आत्मा नही है। केवल मांस है जबकि जैसा मैंने बताया कि बच्चा अब हर दर्द को महसूस करता है जैसे आप और हम करते है।
गर्भ में बच्चे को किन क्रूर और अमानवीय तरीको से मारा जाता है, वो भी पढ़े।
पहला तरीका-एक वैक्यूम क्लीनर जैसे सेक्शन मशीन से तेज दबाब और स्पीड से बच्चे के छोटे-छोटे टुकड़े कर बाहर की और प्रेशर से खींचकर बाहर निकाला जाता है। कितना अमानवीय, कितना दर्दनाक।
दूसरा तरीका-डॉक्टर मां के गर्भ में ही चाकू जैसे किसी कटर से बच्चे के शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े करता है और फिर उसे बाहर निकालता हैं।
तीसरा तरीका-चिकित्सक माँ के शरीर में शल्य क्रिया से बच्चे को बाहर निकाल देते है। समय से पहले ही। अखबारों में जो अक्सर आप पढ़ते कि झाड़ियों में, नाले में भ्रूण मिला, वो इसी तरीके के दुष्परिणाम है।
चौथा तरीका-एक ऐसी दवाई को एमनियोटिक थैली में इंजेक्ट किया जाता हैं जिससे अंदर बच्चा जल कर मर जाता है, मर कर सिकुड़ जाता है और फिर खून के रूप में बाहर आ जाता है।
सोचिये, कितना अमानवीय है ये सब। कितना कड़वा सच। मैंने कितने लोगो के समूहों को सड़क पर उतरते देखा है। भीड़ के रूप में। विरोध के रूप में। मोमबत्ती जलाते हुए। धरना देते हुए। स्याही फेंकते हुए। सोशल मिडिया पर भड़ास निकालते हुए। उनकी बैचैनी और गुस्सा शायद उनसे ये करवाता होगा पर इस घोर अमानवीयता के खिलाफ कोई क्यों नही बोलता। अपने आस-पास सभ्य और एलीट के बीच हो रही इस मौन हत्याओं पर समाज भी मौन है। और इससे बड़ा मजाक हमारी सभ्यता के साथ और क्या हो सकता है कि इस गन्दगी को लोग सफाई का नाम देते है।