आखिर कब तक बेबसी की जंजीर में जकड़े रहेंगे पिन्टू जैसे बच्चे! पढि़ए हालातों के मारे एक गरीब परिवार की सच्चाई

Samachar Jagat | Friday, 24 Mar 2017 12:21:58 PM
How long will survive in the chains of helplessness children like Pintu!

कुचामन सिटी/मारोठ। दुनिया में कोई भी मां-बाप यह नहीं चाहेंगे की उनके बच्चे दुखी रहे। लेकिन फिर भी अपने हालातों और अपनी बेबसी के चलते कई मां-बांप के सामने आखिर ऐसा पल आ ही जाता है जब वो अपने बच्चे को दुखी होता देखते है। वहीं ऐसे मां-बाप इतने लाचार होते है कि अपने बच्चे को अपनी आंखों के सामने ही दुखी होता देखकर भी कुछ नहीं कर सकते।

जी हां, आज हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसे मां-बाप के बारे में जो इतने लाचार है कि अपने बच्चें को जंजीरों में बांधकर रखते है।  ऐसी ही बेबसी और हालातों को बया करने वाली एक ऐसी ही दास्ताह है कुचामन के करोठ निवासी 13 साल के पिंटू की है। अपनी लाचारी और बेबसी को लेकर पिंटू के मां बाप को सिर्फ ऐसे लोगों से उम्मीद की आस है जो उनकी मदद कर सके और उनके बच्चें को एक नई जिंदगी दे सकें।

राजस्थान के नागौर जिले के नावां उपखण्ड के मारोठ रामदेव घाटी के पास रहने वाले एक बेबस पिता शंकर मेहरा अपने 13 साल के मासुम बेटे की विकलांगता का अभिशाप झेल रहा हैं। तस्वीर में जिसे आप देख पा रहे हैं वह पिंटू ही है। पिन्टु बचपन से ऐसा ही हैं...उसके ना तों मुंह से बोल फुटते हैं, और ना हीं दिमाग काम करता हैं। हर तरह से लाचार पिता व मां आर्थिक तंगी के चलते उसका इलाज तक करवाने में असमर्थ है।

पेशे से चरवाहे शंकर मेहरा का पूरा परिवार ही अनपढ़ है इसी के चलते सरकारी सुविधाओं के बारे में उन्हे किसी भी प्रकार की कोई भी जानकारी नहीं हैं। शंकर मेहरा बकरियां चराकर अपने परिवार का पालन-पोषण बड़ी ही मुश्किल से करत है। ऐसे में पिंटू का इलाज करवाना तो दूर वो उसे सही तरीके की जिंदगी भी नहीं दे सकते। पिन्टू के परिवार में एक भाई व एक बहिन सहित पांच सदस्य हैं, जिनका पालन-पोषण भी जैसे तेसे चल रहा हैं। मानसिक विक्षिप्त पिन्टु को गानों का बहुत शोक है।

घर के आसपास से जब भी किसी गाने की धुन कानों में पड़ती है तो वह उसके पीछे भागने लग जाता हैं।  पड़ौसी पतासी देवी मेहरा व हनुमान गुर्जर बताते हैं कि कई बार रात को गाना बजने की आवाज सूनकर पिंटू घर से भाग जाता था और परिवार वाले सोते ही रह जाते हैं। जब परिवार को उसके गायब होने की जानकारी लगती थी तो पिंटू को ढूंढऩे में घरवालों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती।

आखिरकार परेशान होकर पिंटू के माता-पिता को ऐसा निर्णय लेना पड़ा जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। पिंटू के बार-बार भागने से परेशान उसके माता-पिता ने उसे जंजीरों और रस्सी से अपने आंगन में बांध दिया।

विंडबना यह है कि जिस कलेजे के टुकड़े को मां अपनी छाति से लगाना चाहती है वहीं हर रोज उसे जंजीरें पहनाती है। अपने इस मजबूरी को देख इस मां का क्या हाल होता होगा इसके बारे में या तो उसकी मां ही जानती है या फिर भगवान। 

अधिकारियों ने जगाई उम्मीद

‘ अगर ऐसा परिवार है तो जल्द ही जांच कर ली जाएगी। और इस परिवार को सरकार से मिलने वाली भामाशाह योजना, पेंशन योजना, विकलांगता प्रमाण पत्र, बीपीएल सुविधाए मुहैया करायी जाएगी।’ 
मुकरम शाह- उपखण्ड अधिकारी नावां 
सोर्स: विमल पारीक

 



 

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