अजमेर। गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के खास गुर्गे राजस्थान पुलिस से बर्खास्त सिपाही और हिस्ट्रीशीटर धर्मेन्द्र चौधरी के मर्डर का सनसनीखेज मामले में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हमलावरों ने कार से बाहर निकलने तक का मौका तक नहीं दिया और लाठी-सरियों से ताबड़तोड़ वार के बाद गोली सिर के आर-पार कर दी। धर्मेन्द्र चौधरी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
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कोतवाली थाना पुलिस ने शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया। पुलिस व एफएसएल टीम को धर्मेन्द्र की कार से रिवाल्वर की गोली का एक खोल मिला है जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दो गोली लगना सामने आया है। दोनों फायर कनपटी के बिल्कुल पास से किए गए जिससे गोलियां भेजा चीरते हुए हुए निकलीं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक धर्मेन्द्र के सिर सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों में 17 से ज्यादा फ्रेक्चर हुए। मोर्चरी के बाहर पुलिस ने एहतियात बरतते हुए अतिरिक्त जाप्ता तैनात किया।
धर्मेन्द्र की पत्नी ने हत्या की वारदात में हिस्ट्रीशीटर संजय मीणा, प्रॉपर्टी कारोबारी विक्रम शर्मा, सुरेन्द्र सिंह सहित अन्य को नामजद करते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई है। उसने बताया कि धर्मेन्द्र का तीनों से लम्बे समय से विवाद चल रहा था। आरोपितों ने पूर्व में भी धर्मेन्द्र व उसके रिश्तेदारों पर जानलेवा हमलाकर हत्या की कोशिश की थी। धर्मेन्द्र के भाई राजेन्द्र चौधरी ने भी विक्रम, संजय और सुरेन्द्र पर हत्या का शक जाहिर किया।
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धर्मेन्द्र चौधरी की हत्या के मामले में पुलिस ने तीन को संदेह के आधार पर हिरासत में ले रखा है। पुलिस ने यूथ कांग्रेस के पूर्व पदाधिकारी महेन्द्र चौधरी से भी पूछताछ की। महेन्द्र का धर्मेन्द्र से 2008 में केन्द्रीय बस स्टैंड पर सम्पति पर कब्जे को लेकर विवाद हुआ था। हालांकि मामले में कुछ समय बाद दोनों पक्ष में समझौता हो गया लेकिन पुलिस शक के आधार पर महेन्द्र चौधरी सहित तीन जनों से पूछताछ कर रही है।
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शहर के नया बाजार, केसरगंज, मदारगेट के कई बड़े व्यापारी धर्मेन्द्र के प्रॉपर्टी के कारोबार में बराबर के हिस्सेदार हैं। ये व्यवसायी धर्मेन्द्र को साझेदार बनाकर उसके दम पर विवादित सम्पतियों की खरीद फरोख्त करते थे। धर्मेन्द्र की हत्या के बाद इन व्यापारियों ने चुप्पी साध ली है लेकिन करोड़ों की सम्पतियां अब भी विवादों में फंसी हुई है।