जयपुर। ये संयोग ही है कि राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जन्म दिन और अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस-दोनों की एक ही तिथि है। यही नहीं उन्होंने कई मामलों में नया इतिहास रचा है।
वसुंधरा राजे ने बीजेपी की पहली महिला प्रदेशाध्यक्ष के रूप में राजस्थान में पार्टी की बागड़ोर संभाली और परिवर्तन यात्रा के जरिए राजस्थान के हर हिस्से में गईं और आम जनता से रू-ब-रू हुईं, उनकी बातें सुनी और समस्याओं को समझा और अपनी बात उन तक पहुंचाई। राजे की परिवर्तन यात्रा का मकसद राजस्थान की जनता ने समझा और विधान सभा चुनाव में उन्हें बहुमत देकर जिताया।
जीवन परिचय
वसुन्धरा राजे का जन्म 8 मार्च 1953 को मुम्बई में हुआ। वो ग्वालियर राजघराने की पुत्री हैं। उनके पिता का नाम जीवाजीराव सिन्धिया और मां का नाम विजयाराज सिन्धिया है। वो मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया की बहन हैं। उनका विवाह धौलपुर के एक जाट राजघराने में हुआ।
- राजे को 1984 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया था। इसके बाद 1985-87 के बीच राजे बीजेपी युवा मोर्चा राजस्थान की उपाध्यक्ष रहीं।
- 1987 में वसुंधरा राजे राजस्थान प्रदेश बीजेपी की उपाध्यक्ष बनीं।
- उनकी कार्यक्षमता, विनम्रता तथा पार्टी के प्रति वफादारी के चलते 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में राजे को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया।
- वसुंधरा राजे को अक्टूबर 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया।
- भैरोंसिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें राजस्थान में बीजेपी राज्य इकाई की अध्यक्ष बनीं।
पहली बार बीजेपी को मिला था राजस्थान में पूर्ण बहुमत
राजे के नेतृत्व में बीजेपी को पहली बार बहुमत मिला। राजस्थान की राजनीति में धुरंधर रहे भैरोंसिंह शेखावत तक बीजेपी को कभी बहुमत नहीं दिला पाए, जबकि राजे ने न केवल पार्टी को बहुमत दिलाया, बल्कि शेखावत के शासन की खिलाफत कर सत्ता हासिल करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो कि विधान सभा चुनाव में 156 सीट पर विजयी होकर राजस्थान के शासन की बागडोर संभाली थी, कांग्रेस को पहली बार तगड़ी शिकस्त देकर 156 से 56 पर लाकर छोड़ दिया।
राजे से पहले भाजपा के मुख्यमंत्री रहे शेखावत को सरकार बनाने के लिए हमेशा जोड़ तोड़ का सहारा लेना पड़ा। यहीं नहीं वसुंधरा राजे के पहले मुख्यमंत्रित्व काल के बाद यद्यपि बीजेपी शासन में नहीं आ सकी, किन्तु कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और गहलोत को भी जोड़-तोड़ के जरिए सरकार बनानी पड़ी।
विधायक
1985-90 सदस्य, 8वीं राजस्थान विधान सभा
2003-08 सदस्य, 12वीं राजस्थान विधान सभा में झालरापाटन से।
2008-13 सदस्य, 13वीं राजस्थान विधान सभा झालरापाटन से।
2013 सदस्य, 14वीं राजस्थान विधान सभा झालरापाटन से।
लोगों की समस्याओं से रू-ब-रू हुई राजे
राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने के बाद दूसरी बार मुख्यमंत्री बने अशोक गहलोत से दूसरी बार सत्ता छीनने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सुराज संकल्प यात्रा के नारे के साथ दूसरी बार पूरे राजस्थान का दौरा किया और लोगों की समस्याओं से रू-ब-रू हुई। सुराज संकल्प यात्रा का जनता में अच्छा संदेश गया और राजे को दूसरी बार 163 सीटों के साथ विजयी बनाकर उनमें अपना विश्वास प्रकट किया।
इस बार कांग्रेस बहुत ही बुरी तरह से हारी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। कांग्रेस को बहुत मुश्किल से दस प्रतिशत सीटों पर जीत मिल सकी और उसे सदन में विपक्षी दल का दर्जा हासिल हो सका। राजस्थान में जब विधान सभा चुनाव हुए तब न तो कोई मोदी लहर थी और न ही बीजेपी का दबदबा था और इससे पहले राजस्थान में बीजेपी को इतनी सीटों पर कभी जीत नहीं मिली। यही नहीं जीत का यह सिलसिला थमा नहीं।
पहली बार लोकसभा में बीजेपी ने जीती पूरी सीटें
लोकसभा में पहली बार भारतीय जनता पार्टी सभी 25 सीटों पर विजयी रही। उसके बाद राजस्थान में शहरी सरकार यानी नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर निगमों के हुए चुनावों में भी भाजपा अव्वल रही और अभी हाल ही निपटे पंचायतीराज संस्थाओं के चुनावों में भी भाजपा ने कांग्रेस को पीछे धकेल दिया।
इसके विपरीत वसुंधरा राजे जो राजाशाही में जन्मी, पली, बढ़ी हुई और धौलपुर की महारानी बनी, जिसमें परिवर्तन यात्रा और सुराज संकल्प यात्रा के जरिए जनता से सीधा संबंध जोडक़र दोनों बार भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में बहुमत दिलाकर विजय श्री का सेहरा बांधा। राजाशाही में राजे जो केवल धौलपुर की महारानी रही वही लोकशाही में जनता से सीधी जुडक़र पूरे राजस्थान की महारानी बन गई।
जन्मदिन विशेष : महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोंत हैं 'वसुंधरा राजे', अपने दम पर बनाया राजनीतिक मुकाम
समाचार जगत की ओर से राजे के दीर्घजीवी होने और राजस्थान को देश के विकसित राज्यों में शीर्ष पर पहुंचाने की कामनाओं के साथ बहुत-बहुत बधाई।