जयपुर : GST में तंबाकू पर 26 प्रतिशत की प्रस्तावित सिन रेट का विरोध

Samachar Jagat | Tuesday, 01 Nov 2016 03:47:50 PM
 GST rate of 26 per cent tobacco against Sin proposed

जयपुर। प्रमुख कैंसर रोग विशेषज्ञों ने जीएसटी में तम्बाकू पर 26 प्रतिशत प्रस्तावित सिन रेट का विरोध करते हुए कहा कि इस निर्णय से सरकारी राजस्व के साथ ही जन स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वायस आफ टोबेको विक्टिम के प्रवक्ता तथा सवाई मान सिंह चिकित्सालय के सह आचार्य डा.पवन सिंघल ने आज यहा बताया कि 40 प्रतिशत से कम की सिन रेट से तंबाकू उपयोगकर्ताअेां की संख्या में हेागी बढ़ोतरी होगी।

उन्होंने बताया कि जीएसटी की दरों को लेकर हाल ही में हुयी बैठक में आम सहमति थी कि तुबाकू जैसी चीजें समाज के लिये हानिकारक है और सिन के रूप में वर्गीकृत की गई हैं। ऐसी हानिकारक चीजों पर जीएसटी के तहत उच्च दर पर कर लगाया जाना चाहिए। प्रमुख आर्थिक सलाहकार रिपोर्ट में ऐसी सिफारिश की गई है जिसमें सिगरेट, बीडी और चबाने वाले तंबाकू समेत सभी तंबाकू उत्पादों पर 40 प्रतिशत जीएसटी सिन रेट लगाने की बात कही गई है।

उन्होंने बताया कि हाल ही में 20 अक्तूबर को संपन्न हुई जीएसटी परिषद की बैठक में इससे कहीं कम यानी 26 प्रतिशत की सिन रेट का प्रस्ताव दिया गया है, जिसका देश के राजस्व के साथ-साथ उसके जन स्वास्थ्य पर भी बड़ा असर पड़ेगा। 

इन दोनों पर ही गंभीरता से गौर किया जाना जरूरी है। सिन टैक्स के पीछे के दो तार्किक कारण हैं। पहला तार्किक कारण तंबाकू जैसे उत्पादों के कारण समाज को होने वाले नुकसान के लिए भरपाई है और दूसरा कारण इन उत्पादों की कीमत बढाना और इनका इस्तेमाल घटाना है।

26 प्रतिशत की दर इन दोनों ही उद्देश्यों को विफल कर देगी। यह तंबाकू से मिलने वाले मौजूदा राजस्व को कम कर देगी और असल में तंबाकू उत्पादों को खास तौर पर बच्चों एवं युवाओं समेत कमजोर वर्ग के लोगों को आदतन बना देगी, जिससे इन उत्पादों के सेवन को बढावा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि राजस्थान जैसे प्रदेश में भी तम्बाकू पर 46 प्रतिशत की दर से कर लिया जा रहा है जबकि जीएसटी की बैठक में सिन रेट 26 प्रतिशत लगाने का प्रस्ताव रखा गया है । 

सिंघल ने कहा कि विश्व भर में तंबाकू उपभोक्ताओं की संख्या के मामले भारत 27 दशमलव पांच करोड़ से दूसरे स्थान पर है। इनमें से कम से कम 10 लाख लोग हर साल तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से मर जाते हैं। जिसमें 72 हजार नागरिक राजस्थान के भी शामिल है। उन्होंने कहा कि तंबाकू सेवन के कारण देश को स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक आर्थिक खर्च वहन करना पड़ता है। 

हाल ही में दिल्ली में हुई जीएसटी की बैठक में 26 प्रतिशत की सिन रेट (तंबाकू इत्यादि उत्पादों पर लगने वाला कर) का प्रस्ताव दिया गया है, जबकि राजस्थान में सभी तंबाकू उत्पादों पर 65 प्रतिशत टैक्स है।

आईआईटी जोधपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ.रीजो जॉन के अनुसार, यदि सरकार जीएसटी के बाद तंबाकू उत्पादों पर मौजूदा आबकारी शुल्क को बनाए भी रखती है तो भी 40 प्रतिशत की जीएसटी सिन रेट की तुलना में 26 प्रतिशत की सिन रेट लगाना तंबाकू कर के कुल राजस्व को लगभग पांचवें हिस्से 17 प्रतिशत या मोटे तौर पर 10,510 करोड़ रूपए तक घटा देगा। 

स्पष्ट तौर पर, 26 प्रतिशत की सिन रेट तंबाकू के लिए राजस्व निरपेक्ष स्थिति बनाए रखने के लिए जरूरी दर से कहीं कम होगी। चूंकि अधिकतर तंबाकू उत्पादों पर औसत वैट की दरें खुद ही 26 प्रतिशत से ज्यादा हैं, ऐसे में 26 प्रतिशत की सिन रेट सभी तंबाकू उत्पादों पर कर का बोझ महत्वपूर्ण तरीके से कम कर देंगी।

उन्होने बताया कि तंबाकू का सेवन देश पर भारी स्वास्थ्य एवं आर्थिक खर्च डालता है। तंबाकू के सेवन के कारण होने वाली बीमारियों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष खर्च वर्ष 2011 में 1.04 लाख करोड रूपए या भारत की जीडीपी का 1.16 प्रतिशत था।

टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के प्रोफेसर और कैंसर सर्जन डा. पंकज चतुर्वेदी के अनुसार, जीएसटी की कहीं कम दर सभी तंबाकू उत्पादों को युवाओं और अन्य कमजोर तबकों के लोगों के लिए कहीं ज्यादा आदतन बना देगी। इसके परिणामस्वरूप तंबाकू का प्रकोप और ज्यादा बढ जाएगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बहुत बढ जाएगा । इससे निश्चित तौर पर प्रति वर्ष कैंसर से मरने वालों की संख्या बढेगी, जो किसी भी दृष्टि से ठीक नही है।
उन्होंने सरकार से तंबाकू उत्पादों पर उच्च दर पर कर लगाने की अपील करते हुए कहा कि इससे लोगों को इसके सेवन के लिए हतोत्साहित किया जा सके। वॉयस आफ टोबेकों विक्टीम के अनुसार देश की लगभग 35 प्रतिशत व्यस्क आबादी तंबाकू का सेवन करती है जिसमें से 48 प्रतिशत पुरूष और 20 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। इनमें से कम से कम 10 लाख लोग हर साल तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से मर रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू के बाजार में 48 प्रतिशत हिस्सेदारी बीडी की, 38 प्रतिशत चबाने वाले तंबाकू की और 14 प्रतिशत हिस्सेदारी सिगरेट की है। इसलिए यह बात स्पष्ट है कि इन मौतों के लिए बीड़ीं बडी जिम्मेदार हैं।



 

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