रिफाइनरी में देरी कर मुख्यमंत्री ने राजस्थानवासियों के साथ अपराध किया : गहलोत

Samachar Jagat | Wednesday, 19 Apr 2017 09:44:03 PM
Gehlot hits out at Pradhan, Raje over 'half truths' on refinery, says 4-yr-delay led to massive loss

जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाड़मेर में रिफाइनरी मुद्दे पर राजस्थान की भाजपा सरकार पर प्रहार करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे नेेे रिफाइनरी परियोजना को तीन साल की देरी कर प्रदेशवासियों के साथ अपराध किया है, जिसे जनता कभी माफ नहीं करेगी।

गहलोत ने यहां संवाददाताओं से केन्द्रीय पेट्रोलियम और खान मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा रिफाइनरी मुद्दे को लेकर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केन्द्रीय मंत्री कम से कम यह तो बताए कि नए एमओयू में चालीस हजार करोड़ रुपए कैसे कम हुए है। मंत्री खुद इसका जवाब नहीं दे पाए। यदि प्रथम एमओयू में कुछ गलत हुआ है तो उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ‘जानबूझकर’ बाडमेर में रिफाइनरी परियोजना को तीन साल की देरी की है। प्रदेश की जनता इसके लिए उन्हें राजे कभी माफ नहीं करेगी। राजस्थान सरकार समय पर रिफाइनरी स्थापित कर लेती को राजस्थान सरकार को करोडों रुपए करों के रूप में मिलते, हजारों लोगों को रोजगार मिलता।

उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए और जनता के दवाब में इस परियोजना को शुरू करने को मजबूर होना पडा है। परियोजना मेंं की गई देरी से बडा नुकसान हुआ है जिसकी पूर्ति होना असंभव है। मुख्यमंत्री ने चालीस हजार करोड का भार कम कैसे पडेगा इसका खुलासा भी नहीं किया है, सरकार को प्रदेश की जनता को यह बताना चाहिए।

गहलोत ने सरकार पर अर्धसत्य बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार और एचपीसीएल के बीच हुए एमओयू को जनता के सामने लाना चाहिए जिससे हकीकत सामने आ जाएगी।

इधर राजस्थान विधानसभा मेंं नेता प्रतिपक्ष रामेश्वरी डूडी ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ‘एमओयू एक्सपर्ट’ बन चुकी है, लेकिन किसी भी परियोजना के क्रियान्वयन में फिसड्डी रही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान एचपीसीएल के साथ रिफाइनरी के लिए किए गए करार में भी राज्य सरकार की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत थी और संशोधित करार में भी वही है, जबकि मुख्यमंत्री अपने पूर्ववर्ती कई बयानों में दावा करती रही थी कि रिफाइनरी के लिए राज्य सरकार की 26 प्रतिशत अंश भागीदारी कभी स्वीकार नहीं की जाएगी।



 

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