CBSE का काम नियम बनाना और SCHOOLS का काम नियम तोड़ना

Samachar Jagat | Wednesday, 26 Apr 2017 01:51:55 PM
CBSE Work making of rule and Schools work is Breaking the rules

जयपुर, राजस्थान
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त प्रदेश के लगभग सभी स्कूल्स का मनमाना रवैया जारी है। कभी फीस का लेकर तो कभी स्कूल से पाठ्य सामग्री खरीदने को लेकर स्कूल्स अपनी शर्तें अभिभावकों पर थोप रहे हैं। 

एक ओर जहां परिजन सीबीएसई के आदेशों का हवाला दे रहे हैं, तो स्कूल्स का कहना है कि उनके स्कूल में उनके बनाए नियम ही चलेंगे। बच्चों को बेहतर स्कूल में पढ़ाने का सपना पाले अभिवाहकों को पढ़ाई के अलावा इन अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

नियम ये कहता है
सीबीएसई ने उससे मान्यता प्राप्त सभी प्राइवेट स्कूलों को 20 अप्रेल, 2017 को महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए थे। आदेश के मुताबिक निजी स्कूल्स को अपने परिसर में व्यावसायिक तरीके से पाठ्यक्रम संबंधी बिक्री तुरंत रोकने के आदेश दिए गए थे। साथ ही सीबीएसई ने कक्षा एक से 12वीं कक्षा तक केवल सीबीएसई की मान्यता प्राप्त पाठ्य पुस्तकों का उपयोग करने को कहा था।

आदेश द्वारा यह सीधे तौर पर कहा गया था कि कोई भी निजी स्कूल यूनिफॉर्म, किताबें-कॉपियां व दूसरी स्टेशनरी सामग्री की ब्रिकी नहीं करें। सीबीएसई ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि यदि इन नियमों की पालना नहीं की जाती है तो संबंधित स्कूलों के खिलाफ उचित कार्यवाई भी की जाएगी। 

सीबीएसई उप सचिव के. श्रीनिवास की ओर से जारी किए गए एक परिपत्र में कहा गया था, कि परिजनों व कई पक्षकारों की ओर से मिली शिकायतों के आधार पर बोर्ड के संज्ञान लेते हुए ये निर्देश जारी किए हैं। 

आदेश में तो यह भी कहा गया था कि यदि कोई भी  स्कूल अपने परिसर में या अथवा अपने चहेते चुनिंदा दुकानदारों के माध्यम से ब्रिकी करा रहे हैं तो उनकी मान्यता तक रद्द की जा सकती है। 

निर्देश भी जारी किया गया था कि सीबीएसई की संबद्धता के नियम 19.1 के अनुसार कंपनी अधिनियम-1956 की धारा-25 के तहत पंजीकृत सोसाइटी, ट्रस्ट, कंपनी को यह तय करना होगा कि स्कूल का संचालन सार्वजनिक सेवा के रूप में हो रहा है। जिसमें किसी तरह का कारोबार नहीं किया जा रहा है।

...और नियम हवा हुए
इसके बावजूद आज की तारीख में जयपुर सहित तकरीबन पूरे प्रदेश में आधे से अधिक स्कूलों ने सीबीएसई के इन दिशा-निर्देशों को नहीं माना। गौरतलब है कि ऐसा करने वाले शहर के कुछ प्रतिष्ठित स्कूल भी हैं, जहां पर लोग अपने बच्चों को एडमिशन करवाकर गौरवान्वित महसूस करते हैं।

बच्चों को न केवल किताबों-कॉपियों या कपड़ों के लिए मजबूर किया जा रहा है, वरन जूते भी स्कूल से ही खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। हालांकि परिजनों की ओर से कई बार सीबीएसई को इस बाबत शिकायत भेजी जा चुकी है, लेकिन अभी भी ऐसे स्कूलों की अवैध गतिविधियां बंद होने का नाम नहीं ले रही। 



 

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