प्रधानमंत्री कौन से धन से चुनाव जीते, यह बताने से कतरा क्यों रहे हैं : गहलोत

Samachar Jagat | Monday, 05 Dec 2016 12:27:57 PM
Ashok Gehlot : With what type of currency PM Modi won the elections, why he is afraid of informing everyone?

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अब सवाल किया है कि वे यह क्यों नहीं बताते कि उन्होंने पिछला चुनाव कालेधन से लड़ा था या सफेद धन से जीत कर प्रधानमंत्री बने थे। सच्चाई बताने में कतरा क्यों रहे हैं। देश के लोग इस सच्चाई को जानना चाहते हैं। 

गहलोत ने रविवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि यह सभी जानते है कि चाहे कोई किसी भी राजनीतिक दल का व्यक्ति हो, नगर पार्षद, विधायक या सांसद का चुनाव लड़ता है, उसकी शुरूआत चंदे के पैसों से होती है। यहीं से भ्रष्टाचार शुरू हो जाता है, ऐसे में कालेधन को समाप्त कर देने जैसी बातें हिपोक्रैसी के सिवाय कुछ नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कालेधन को समाप्त करने का उद्देश्य अच्छा हो सकता है, लेकिन बिना तैयारी से उठाए गए इसे कदम से आज किसान, मजदूर एवं आम नागरिक बुरी तरह दु:खी है, क्योंकि अपना पैसा निकालने के लिए उसे घण्टों लाईन में लगना होता है, फिर भी बैंक से पैसा नहीं मिलना दुर्भाग्य की बात है।

 अब तो लोगों का विश्वास करैंसी से भी और बैंकों से भी उठता जा रहा है, पता नहीं सरकार कब क्या फैसला कर दें। गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री अब गरीबों के लिए बड़ी-बड़ी बातें बोल रहे हैं। इतिहास गवाह है कि भारतीय जनता पार्टी ने कभी भी गरीबों, मजदूरों और किसानों की परवाह नहीं की। यह पार्टी बड़े-बड़े उद्योगपतियों एवं व्यापारियों की परवाह करती आई हैं। इनके बड़े-बड़े जुमलों पर उन्होंने कहा कि यह वक्त बताएगा कि स्थिति क्या बनती है।

गहलोत ने कहा कि राजनीतिक चंदा जो कालेधन की जननी है, उस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता है दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं पुन: कहना चाहता हूं कि मेरी दृष्टि में इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए कि सभी राजनैतिक दलों के नेताओं से चर्चा कर, ऐसे नतीजों पर पहुंचना चाहिए, जिस से कालाधन वे भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लग सके।

एक सवाल पर गहलोत ने कहा कि नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार ने सौ से अधिक नए-नए फरमान जारी कर दिए, जो बैंक अधिकारियों को याद भी नहीं है, जो लागू भी नहीं हो पाते हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण किसी पूंजीपति या व्यापारी को कोई झटका लगा हो, ऐसा लगता नहीं है क्योंकि ऐसे किसी व्यक्ति के चहरे पर कोई शिकन दिखाई नहीं देती।

 सरकार अब नई-नई बातें कह रही है कि घरों में कितना सोना पड़ा हुआ, उसकी हम जांच करेंगे और जप्त करेंगे। इसको लेकर घर-घर में विशेषरूप से महिलाओं में भचता है क्योंकि हर घर में पुश्तैनी सोना भी है। लोगों ने अपना खर्च कम करके बड़ी मुश्किल से दु:ख दर्द में काम में लेने के लिए यह सोना जमा किया है। इसकी जप्ती की बात करने से ऐसा लगता है कि अब कानून का राज नहीं रहा।



 

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