नई दिल्ली। डिजिटल इंडिया मोदी सरकार की एक पहल है, जिसके तहत सरकारी विभागों को देश की जनता से जोडऩा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सकें। इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से जोडऩा भी है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है आधार कार्ड का इस्तेमाल। इसी कड़ी में अब एम्स का नाम भी जुडऩे जा रहा है। आने वाले समय में एम्स में बिना आधार कार्ड के एंट्री नहीं होगी। एम्स प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि एम्स में इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन के लिए यूनिक हेल्थ आईडेंटिफिकेशन (यूएचआईडी) के लिए आधार कार्ड जरूरी कर दिया जाए।
अब तक मरीजों के लिए आधार कार्ड विकल्प के रूप में दिया जाता था। एम्स के डिप्टी डायरेक्टर वी. श्रीनिवास ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सी. के. मिश्रा को लिखे पत्र में कहा है कि एम्स में रजिस्ट्रेशन के लिए अब तक आधार कार्ड नंबर को विकल्प के तौर पर रखा गया है, लेकिन इससे एम्स को पूरी तरह डिजिटल करने की दिशा में दिक्कत आ रही है। ऐसे मरीज जो रजिस्ट्रेशन के लिए अपना आधार कार्ड नंबर यूज नहीं करते, उनकी बाकी इलाज की जानकारियां यूएचआईडी नंबर से लिंक नहीं हो पाती हैं। आधार कार्ड अनिवार्य करने के बाद डिजिटल सेवाओं को बेहतर ढंग से संचालित किया जा सकता है।
एम्स प्रशासन ने आधार एक्ट 2016 का हवाला देते हुए कहा कि आधार कार्ड को अन्य सरकारी सुविधाओं के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसी क्रम में यदि यूएचआईडी को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा तो लोगों को ज्यादा फायदा होगा। आधार कार्ड से मिले यूएचआईडी का फायदा यह है कि इससे मरीज को अपनी इलाज संबंधी जानकारी मैसेज के जरिए रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर मिलती रहती है।