मकर संक्रांति बड़े धूम धाम से मनाई लोगो ने,बिलकुल बेफिकर ,बेहिसाब। मकर संक्रांति के दिन का नज़ारा ही कुछ और होता है , जब सुबह से ही अपने अपने छतो पर लोग उमड़ पड़ते है। तेज म्यूजिक, तिल और गुड़ की खुशबु से माहौल और खुशनुमा बना होता है। सिर्फ इतने से ही नहीं मनता संक्रांति अभी तो पंतंगबाज़ी बची है। मोहल्ले की हर छत पर सबके हाथ में पतंग और मांझा दिखाई पड़ती है। एक दूसरे की पतंग काटने की होड़ मची होती है। पतंगबाज़ी में गुम हो कर मस्ती तो खूब करते है लोग। मगर आस्मा की ओर देखते हुए ये भूल जाते है की वे उड़ने वाले नहीं धरती पर रहने वाले इंसान है। पतंगबाज़ी की मस्ती में हम इंसान ये भूल जाते है की आसमान जो पक्षियों का घर है हम उसी में खलबली मचा डालते है। हमे ये तक याद नहीं होता की जो पतंग हमारे लिए मज़े की चीज़ है वही पतंग पक्षियों के लिए खंजर साबित होती है।
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साथ ही मकर संक्रांति के दिन पतंगोत्सव के समय हुई पटना की घटना जिसमे पतनबाज़ी देखने गए लोग यह तक भूल गए की एक नाव पर कितने लोग बैठ सकते है। इसी कारण जरूरत से ज्यादा लोगो को लेकर लौट रही नाव गंगा में डूब गयी। जिनको तैरना आया वे तो बच गए मगर बाकि लोग अपनी जान से हाथ गांव बैठे। इन मुद्दों पर मेरे रौशनी डालने का बीएस एक ही उद्देश्य है की आप कोई भी त्यौहार धूम धाम से मनाये लेकिन दुसरो को और खुद को कोई भी नुक्सान होने से बचाये।
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इन मुद्दों पर मेरे रौशनी डालने का बीएस एक ही उद्देश्य है की आप कोई भी त्यौहार धूम धाम से मनाये लेकिन दुसरो को और खुद को कोई भी नुक्सान होने से बचाये। मैं अपने बनाये इस कार्टून से आप सब से ये अपील करना चाहती हु की पतंगबाज़ी से पहले मासूम पक्षियों की सुरक्षा का ख्याल ज़रूर रखे।
RUCHI KUMARI
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