नई दिल्ली। सरकार देश के हर गली नुक्कड पर फैले इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक मॉडल पाठ्यक्रम बनायेगी जिसमें जरूरत के हिसाब से बदलाव किया जायेगा। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने राज्यसभा में पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि देश में 8409 स्व वित्तपोषित व्यावसायिक संस्थान हैं और इनमें कई लाख छात्र पढ़ रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के निर्धारित मानदंडों का पालन किया जाता है। इन संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार व्यापक योजना पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि परिषद ने तय किया है कि वह एक आदर्श पाठ्यक्रम बना रही है जिसे सभी कॉलेजों में लागू किया जायेगा। इस पाठयक्रम में जरूरत के हिसाब से बदलाव किया जायेगा। इन कॉलेजों से परिषद के दिशा निर्देशों को मानने के बारे में शपथ पत्र लिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान देने के लिए ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप की संख्या को बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया जा रहा है।
इसके अलावा मान्यता प्राप्त कार्यक्रम को भी 50 फीसदी तक बढ़ाया जा रहा है। श्री जावडेकर ने कहा कि इन कॉलेजों में पढऩे वाले केवल 40 प्रतिशत छात्रों की प्लेसमेंट होती है जिसे अगले पांच वर्ष में बढ़ाकर 60 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है।
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ग्रामीण क्षेत्रों के दूर-दराज के इलाकों में चल रहे कॉलेजों पर बंद होने का खतरा मंडरा संबंधी सदस्यों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि एक समय में लोगों ने निवेश के नाम पर ये कॉलेज खोल लिये लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता नहीं होने के कारण अब इनमें छात्र नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों को इंटरनेट से अब हर कालेज के बारे में जानकारी मिल जाती है कि कहां कितना प्लेसमेंट है और किस कालेज की क्या रैंकिंग है। उन्होंने कहा कि इन कालेजों को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना होगा।– वार्ता
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