देश में अब विभिन्न शिक्षा बोर्ड्स में दिए जाने वाले ग्रेस मार्क की परंपरा को मानव संसाधन विकास मंत्रालय खत्म करने की तैयारी कर रहा है।
अगर देश के शिक्षा बोर्ड्स ग्रेस मार्क की परंपरा खत्म करने को राजी हो जाते हैं तो अंडरग्रैजुएट कोर्सों में दाखिले के लिए कटऑफ में गिरावट आ सकती है।
एचआरडी मंत्रालय देशभर के राज्य शिक्षा बोर्ड और सीबीएसई से इस संबंध में बैठक कर चर्चा करेगी, यदि विभिन्न शिक्षा बोर्ड को ये सुझाव पसंद आता है तो दिल्ली विश्वविद्यालय समेत अन्य विश्वविद्यालयों की सौ फीसदी कटऑफ पर विराम लग जाएगा।
क्या है ग्रेस मार्क्स
देश के कुछ शिक्षा बोर्डों के छात्रों को उन विषयों में बढ़ाकर मार्क्स दिए जाते हैं जिसके बारे में यह समझा जाता है कि उसमें पूछे गए कुछ सवाल कठिन थे। इसे ग्रेस मार्क्स कहते हैं और इसे बोर्ड की मॉडरेशन पॉलिसी के नाम से जाना जाता है।
मॉडरेशन मार्क्स या ग्रेस मार्क्स विभिन्न शिक्षा बोर्ड छात्रों को 10 से 15 मार्क्स के तहत देता है। इन मार्क्स को पाकर छात्र विश्वविद्यालयों में दाखिले की रेस में आगे बढ़ते हैं और इन्हीं मार्क्स से मिले राहत के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय समेत अन्य विश्वविद्यालयों का कटऑफ हाई हो जाता है।