ऐसा कम ही देखा गया है की पूर्वोत्तर भारत से निकल कोई गायक पुरे भारत में अपनी आवाज़ का जादू चला जाये। और ऐसा ही हुआ इस गयक के साथ जिन्होंने हिन्दीभाषी समाज में अपनी एक अलग छाप छोड़ी। हम बात कर रहे है 'भूपेन हज़ारिका' की। उनकी आवाज़ आज भी सबके दिलों पर राज करती है। मगर दुख की बात ये है की वे साल 2011 में हमे अलविदा कह जा चुके है।
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- भूपेन हज़ारिका एक महान हस्ती थे, एक संगीतकार,गीतकार और एक बेहतर गायक
- वे साल 1967-72 के बीच विधायक भी रहे और 2004 में लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे.
-. वे गुवाहाटी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने का काम किया करते थे. फिर नौकरी छोड़ी और संगीतकार बन गए.
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-. वे एक अच्छे गीतकार होने के अलावा असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति के अच्छे जानकार थे.
- पीएचडी करने कोलंबिया यूनिवर्सिटी गए, जहां उनकी मुलाकात बाद में उनकी पत्नी बनी प्रियमवदा पटेल से हुई. हालांकि, वह रिश्ता लंबे समय तक नहीं चल सका.
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