नई दिल्ली। रियल एस्टेट के बड़े कारोबारी सुशील अंसल और गोपाल अंसल को तब तक देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी गई है, जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय सीबीआई और उपहार हादसा पीडि़त संघ (एवीयूटी) की याचिकाओं पर फैसला नहीं दे देता। इन याचिकाओं में वर्ष 2015 में हुई उनकी सजा के फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई है।
सुशील और गोपाल दोनों को 13 जून, 1997 को दक्षिण दिल्ली स्थित उनके उपहार सिनेमा में आग लगने की घटना का दोषी करार दिया गया है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने यह बात तब कही, जब वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद अंसल बंधुओं की ओर से पेश हुए।
पीठ ने कहा कि जब तक पुनर्विचार याचिकाओं का फैसला नहीं हो जाता, दोनों देश नहीं छोड़ेंगे। अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 14 दिसंबर तय की है। पीठ ने अंसल बंधुओं को उनकी सजा को लेकर फैसले के पुनर्विचार के मुद्दे पर नोटिस जारी किया।
सुनवाई के प्रारंभ में ही पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को 22 सितंबर, 2015 के फैसले को पढऩे के लिए कहा, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि पुनर्विचार याचिका केवल सजा तक ही सीमित है। शीर्ष अदालत ने 2015 के फैसले से उनकी सजा बढ़ाकर दो साल कर दी थी, जो लापरवाही के कारण मौत (धारा-304) में प्रावधान है।
इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक वर्ष की सजा सुनाई थी। शीर्ष अदालत ने सजा के साथ दोनों 30-30 करोड़ रुपये का भुगतान करने को भी कहा था। दोनों पहले ही कुछ सजा काट चुके थे। इस फैसले को लेकर हंगामा हुआ, क्योंकि वास्तव में दोनों को मात्र पांच-छह माह ही जेल में रहना पड़ा। अब इस फैसले में सजा को लेकर दायर सीबीआई और एवीयूटी की याचिकाओं पर पुनर्विचार किया जाना है।