नई दिल्ली। ब्रिटेन ने भारत के साथ अपने सदियों पुराने व्यापारिक एवं आर्थिक रिश्तों को और अधिक सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत के हितों की सुरक्षा के अनुरूप सहयोग का आश्वासन दिया है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यहां ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री लियाम फॉक्स के साथ द्विपक्षीय बातचीत के बाद संवाददाताओं को बताया कि दोनों देशों ने आपसी व्यापार और निवेश को सु²ढ़ करने के अलावा आपसी मुद्दों को भी सुलझाने की सहमति व्यक्त की है जिससे दोनों पक्षों के बीच व्यापाक संभावनाओं के अनुरुप रिश्तों को गहरा बनाया जा सके और इनका विस्तार किया जा सके।
उन्होंने बताया कि द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोनों देशों ने दो सहमति पत्रों पर भी हस्ताक्षर किए, जो बौद्ध्कि संपदा अधिकार और कारोबार के अनुकूल माहौल बनाने से संबंधित है। इन सहमति पत्रों पर संयुक्त सचिव स्तर पर हस्ताक्षर किए गए।
उन्होंने बताया कि भारत को ब्रिटेन उभरती हुए अर्थव्यवस्था मानता है और उसी के अनुरूप काम करने का इच्छुक है। बातचीत के दौरान ब्रिटेन ने स्वैच्छिक रुप से विश्व व्यापार संगठन में भारत का सहायोग करने की इच्छा जताई। भारत ने विश्व व्यापार संगठन में व्यापार सुविधा केंद्र बनाने का अवधारणा नोट पेश किया है जिसका विकासशील और अल्पविकसित राष्ट्रों ने समर्थन किया है।
सीतारमण ने बताया कि भारत ने बैठक के दौरान भारतीय छात्रों को ब्रिटिश वीजा का मामला उठाया और इससे सुलझाने का अनुरोध किया। दूसरी ओर ब्रिटेन ने वोडाफोन और कैन्र्स का कर संबंधी मामला उठाया और कहा कि इनका निपटारा जल्दी किया जाना चाहिए। दोनों देशों ने एक दूसरे की समस्याओं पर गौर करने का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि दोनों की व्यापाऱ, निवेश और अन्य समस्याओं पर विचार संयुक्त कार्य दल में होगा। दोनों पक्ष व्यापार और निवेश को बढ़ाने के इच्छुक हैं और इन समस्याओं को दूर कर लिया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ब्रिटेन को साफ बता दिया गया है कि अगर उन्हें भारतीय बाजार और निवेश चाहिए तो भारतीय मेधा को भी स्वीकार करने के रास्ते बनाने होंगे। भारतीय मेधा के बिना भारतीय बाजार और निवेश संभव नहीं है
। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने के बाद भारत पर सीधा असर पडऩे की संभावना है। हालांकि दोनों देश मुक्त व्यापार समझौता करना चाहते हैं। इस संबंध में अभी कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है।