मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद महंगाई बढ़ने की आशंका जताते हुए डिजिटल भुगतान को सुरक्षित बनाए जाने की आवश्यकता पर आज बल दिया। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कहा है कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का जो अस्थाई प्रतिकूल असर था वह काफी हद तक कमजोर पड़ चुका है।
रिजर्व बैंक के एक पत्र में नोटबंदी के व्यापक आर्थिक प्रभाव पर एक प्रारंभिक आकलन रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 1,000 और 500 रूपए के नोटों को बंद किए जाने के साथ ही 15.6 लाख करोड़ रूपए मूल्य के नोट चलन से बाहर हो गए। लेकिन अभी उस करेंसी का सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सका है जो पुराने नोटों के रूप में बैंकिंग प्रणाली में लौटी है क्योंकि इसकी गणना और मिलान प्रक्रिया अभी जारी है।
पत्र में कहा गया है कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर असर पड़ा है। हालांकि, इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसका प्रतिकूल असर कुछ समय के लिए ही था, जो नवंबर-दिसंबर में महसूस किया गया। रिजर्व बैंक ने कहा कि नोटबंदी का असर फरवरी के मध्य से कम होना शुरू हो गया। बैंकिंग प्रणाली में नई करेंसी आने के साथ नोटबंदी का असर अब कम होना शुरू हो गया है। केंद्रीय बैंक ने अपने आकलन में कहा कि नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, लेकिन अब भी इसका आधार काफी छोटा है।
रिजर्व बैंक ने कहा है, यह महत्वपूर्ण है कि डिजिटल भुगतान स्वीकार करने के लिए प्रयास तेज किए जाने चाहिए। यह भी उतना ही अहम है कि डिजिटल भुगतान को सुरक्षित और बेहतर बनाया जाए। केन्द्रीय बैंक की आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिअल भुगतान के सुरक्षा उपायों की लगातार समीक्षा होनी चाहिए और इसमें सुधार होना चाहिए। देश में साक्षरता के निम्न स्तर को देखते हुए डिजिटल भुगतान को मजबूत और विश्वासपरक बनाया जाना चाहिए। - एजेंसी