नई दिल्ली। केन्द्रीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) अपने लजीज स्वाद के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध समुद्री ‘टूना’ मछली के प्रजनन, जीरा (सीड) उत्पादन और इसके पालन के लिए अनुसंधान कार्यक्रम शुरू करेगा। दुनिया के पूर्वी क्षेत्र के अधिकांश देश टूना मछली का पालन करते हैं लेकिन अब सीएमएफआरआई ने दुनियाभर में इसके बढ़ते बाजार के मद्देनजर इस पर अध्ययन करने तथा इसका लाभ उठाने की योजना तैयार की है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से सम्बद्ध यह संस्थान जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर समुद्री मछलियों पर पडऩे वाले प्रभावों तथा उसकी वजह से मछलियों में आए बदलाव का वैश्विक अध्ययन करेगा।
सीएमएफआरआई के निदेशक ए गोपालकृष्णन के अनुसार संस्थान के हीरक जयंती वर्ष के अवसर पर जलवायु परिवर्तन के कारण वातावरण में आ रहे बदलाव तथा मत्स्य पालन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अनुसंधान की नई रणनीति तैयार की गई है।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के आगामी अधिवेशन में भारत की ओर से इस अध्ययन को पेश किया जायेगा। इस अध्ययन को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से पूरा किया जाएगा। और इस रिपोर्ट के संस्थान के हीरक जयंती वर्ष तक तैयार हो जाने की उम्मीद है। अध्ययन के दौरान संस्थान मत्स्य प्रजातियों के जैविक गुणों का निरीक्षण करके उन पर पडऩे वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन करेगी और इसी आधार पर खतरे में पडी प्रजातियों को चिह्नित किया जाएगा।
समुद्री मत्स्य पालन उद्योग के लिए बड़ी खबर यह है कि सीएमएफआरआई मत्स्य पालन नीति निर्देशिका केन्द्र सरकार को पेश करेगी जिसमें समुद्र के किनारे तटीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन गतिविधियों को बढाकर इसका उत्पादन बढाने पर मुख्य जोर होगा।
गोपालकृष्णन के अनुसार समुचित मत्स्य पालन नीति के अभाव में देश में मत्स्य पालन गतिविधियों को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं मिल पाता। नीति होने से देश में मत्स्य खाद्य सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
समुद्र की गहराई में 3.6 किलोमीटर से लेकर 11 किलोमीटर के दायरे में रहने वाली ‘प्लेजिक मछलियों’ के प्रभावी प्रबंधन के लिए दूर संवेदी उपग्रह प्रौद्योगिकी की मदद से इन मछलियों की मात्रा का सटीक मॉडल का विकास भी मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए एक बडी उपलब्धि है। वर्तमान क्लोरोफिल आधारित दूर संवेदी भारतीय मत्स्य पूर्वानुमान प्रणाली को शोध कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाएगा।
गोवा स्थित राष्ट्रीय महासागरीय संस्थान के अनुसार गत पांच दशकों में हिन्द महासागर में टूना मछली का उत्पादन 50 से 90 प्रतिशत तक घट गया है। संस्थान के अनुसार पश्चिमी हिन्द महासागर का बढ़ता तापमान और औद्योगिक स्तर पर मत्स्य दोहन के कारण टूना मछली के उत्पादन पर असर पड़ा है।
दुनिया भर में भारत टूना मछली का पांचवां सबसे बडा उत्पादक देश है और इसका कारोबार करीब 3000 करोड़ रूपए का है । भारत से टूना मछली मुख्यत: यूरोपीय देशों और अमेरिका में निर्यात की जाती है। मांसपेशियों संबंधी बीमारियों और शरीर में बढे क्लेस्ट्राल की मात्रा को नियंत्रित करने में टूना मछली लाभदायक है। यूरोपीय देशों में इसे डिब्बाबंद करके बेचा जाता है।