नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय देश में पांच सौ और एक हजार रूपए की मुद्रा को अमान्य करने के केन्द्र के निर्णय को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं के साथ ही दो नई याचिकाओं पर भी दो दिसंबर को सुनवाई के लिए आज तैयार हो गया।
नई याचिकाएं केरल की 14 सहकारी बैंकों और भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने दायर की हैं। सहकारी बैंक चाहती हैं कि उन्हें भी अन्य बैंकों की तरह ही कारोबार की अनुमति दी जाए जबकि भाजपा नेता, जो वकील भी हैं, ने एक सौ रूपए से अधिक की मुद्रा के विमुद्रीकरण का अनुरोध किया है।
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इन दोनों याचिकाओं के बारे में आज उल्लेख किया गया। खंडपीठ ने इन याचिकाओं को भी दो दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। उसी दिन पहले से ही लंबित केन्द्र सरकार की स्थानांतरण याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई होनी है।
केरल की सहकारी बैंक चाहती हैं कि शीर्ष अदालत अन्य सरकारी बैंकों की तरह ही उन्हें भी नकदी का कारोबार करने की अनुमति दी जाए। इन बैंकों का दावा है कि जिला सहकारी बैंकों को पुरानी मुद्रा को बदलने की अनुमति नहीं है जो पक्षपातपूर्ण है क्योंकि वे भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुरूप ही काम करती हैं।
याचिका में यह भी दलील दी गई है कि निजी बैंकों को पुरानी मुद्रा बदलने की अनुमति दी गई है जबकि जिला सहकारी बैंकों को ऐसा करने से रोका जा रहा है जो पक्षपातपूर्ण है।
दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक सौ रूपए से अधिक मूल्य की सारी मुद्रा वापस लेने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की है। उनका दावा है कि भ्रष्टाचार और काले धन पर नियंत्रण तथा आतंकवाद और मक्सली गतिविधियों, जुआ, तस्करी, हवाला, रिश्वत और उगाही जैसी गतिविधियों पर अंकुश के लिए ऐसा करना जरूरी है।
याचिका में केन्द्र सरकार, प्रधान मंत्री कार्यालय और भारतीय रिजर्व बैंक को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में नकद कारोबार पांच हजार रूपए तक सीमित करने और आन लाइन तथा क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेन देन पर लगने वाला शुल्क वापस लेने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।