नोट पर पाबंदी उच्चतम न्यायालय में मोदी सरकार को एक और झटका

Samachar Jagat | Thursday, 24 Nov 2016 04:00:58 AM
SC refuses to stay high court hearings against Modi govt's note ban

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में मोदी सरकार को आज उस समय एक और झटका लगा जब शीर्ष अदालत ने पांच और हजार रुपए अमान्य करने के उसके फैसले से जुड़़े मामलों पर देश के उच्च न्यायालयों के विचार करने पर रोक से इनकार कर दिया।

न्यायालय ने कहा कि जनता को उनसे ‘तत्काल राहत’ मिल सकती है।

प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायाधीश एल नागेश्वर राव की तीन सदस्यीय खंडपीठ केन्द्र के इस दावे से संतुष्ट नहीं हुई कि विमुद्रीकरण ‘सफल’ रहा है क्योंकि अब तक छह लाख करोड रुपए से अधिक की राशि बैंकों और डाकघरों में जमा कराई जा चुकी है और दिसंबर के अंत तक करीब दस लाख करोड रुपए और जमा होने की उम्मीद है जो नकदी की चोरबाजारी रोकेगी।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों में इस प्रकरण से संबंधित सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

केन्द्र सरकार को शीर्ष अदालत से यह लगातार दूसरा झटका लगा है। न्यायालय ने 18 नवंबर को उच्च न्यायालयों को आठ नवंबर की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने से रोकने से इनकार कर दिया था। न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि जनता बुरी तरह प्रभावित है और ऐसी स्थिति में अदालतों के दरवाजे बंद नहीं किए जा सकते जिससे दंगा हो जाए।

विमुद्रीकरण के मामलों में उच्च न्यायालय में कार्यवाही पर रोक लगाने की सरकार के पुरजोर आग्रह के बावजूद प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर रोक नहीं लगाना चाहते।’’ सरकार का तर्क था कि अब स्थिति ‘‘काफी बेहतर’’ है और बैंकों के सामने लंबी कतारें कम हुई हैं तथा धन के लेन देने के मामले में डिजिटल प्रक्रिया के इस्तेमाल में काफी इजाफा हुआ है।

पीठ का कहना था, ‘‘ बहुत सारे मुद्दे हैं। उच्च न्यायालयों से लोगों को तत्काल राहत मिल सकती है।’’

उच्च न्यायालयों के सामने आए कुछ मुद्दों में सप्ताह में 24 हजार रुपए बैंक से निकालने की सीमा खत्म करने, अस्पताल और पेट्रोल पंप जैसे सार्वजनिक सेवा केन्द्रों पर पुराने हजार और पांच सौ रुपए के नोटों के इस्तेमाल की अनुमति देना और एमटीएम मशीनों में पर्याप्त धन सुनिश्चित करने का निर्देश देने विषय शामिल हैं।

अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी का कहना था कि अब तक छह लाख करोड रुपए से अधिक की राशि जमा कराई जा चुकी है और बैंकों, एटीएम मशीनों तथा डाकघरों में लोगों की कतारों में जबर्दस्त कमी आई है। उनका यह भी कहना था कि यदि हुआ तो एक हजार और पांच सौ रुपए के नोट जमा कराने की अवधि 30 दिसंबर से आगे भी बढ़ाई जा सकती है।

खंडपीठ सरकार को राहत देने के लिए इस तरह की दलीलों से प्रभावित नहीं हुई।

रोहतगी ने कहा कि एक हजार और पांच सौ रुपए के नोट देश की मान्य मुद्रा का 80 से 85 प्रतिशत हैं और इनके विमुद्रीकरण का उद्देश्य 70 साल से दबे ऐसे धन को चलन से हटाना है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि इसे हटाने में 20-30 दिन और लगते हैं तो भी मुझे नहीं लगता कि यह कोई बडी बात है। यह अभी तक सफल है।’’

अटार्नी जनरल ने कहा , ‘‘इस धन का उपयोग देश की अर्थव्यवस्था में होगा और कर्ज देने की ब्याज दरें कम होंगी।’’ लेकिन पीठ ने कोई राहत देने की बजाए केन्द्र की स्थानांतरण याचिका पर सिर्फ उन प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए जिन्होंने विभिन्न उच्च न्यायालयों में याचिका दायर की है। केन्द्र चाहता है कि इन मामलों की सुनवाइ्र शीर्ष अदालत या फिर कोई एक उच्च न्यायालय करे।

शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार की स्थानांतरण याचिका दो दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि वह मुख्य मामलों में शुक्रवार को सुनवाई करेगी जिसमें जनता के कुछ लोगों और वकीलों ने अधिसूचना की वैधानिकता पर ही नहीं बल्कि इस विवादास्पद फैसले पर अमल के लिए पूरी तैयारी नहीं करने सहित कई अन्य मुद्दे उठाए हैं।

इस मामले की सुनवाई के दौरान आज पीठ ने अटार्नी जनरल जानना चाहा कि इस मसले पर अब क्या स्थिति है और सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि आपने उचित कदम उठाए होंगे। अब क्या स्थिति है? हम समझते हैं कि स्थिति में सुधार हुआ है।’’

अटार्नी जनरल ने पीठ को भरोसा दिलाया कि स्थिति ‘‘पहले से बेहतर’’ है और सरकार दैनिक और घंटों के आधार पर स्थिति की निगरानी कर रही है। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण के निर्णय पर देश भर से वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिए एक समिति भी गठित की गई है।

पीठ ने जब यह पूछा कि अब तक आपने कितना धन एकत्र किया तो रोहतगी ने कहा कि छह लाख करोड रुपए से अधिक। इस पर पीठ ने कहा कि चलन से बाहर निकाली गई मुद्रा का कुल मूल्य करीब 15 लाख करोड रुपए था। पीठ ने कहा, ‘‘यदि आपको करीब दस लाख करोड रुपए मिल गए तो आप इसे सफल बताएंगे।’’

रोहतगी ने कहा कि वह इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल करके उसमे जमा कराए गए धन का विवरण देंगे। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण के बाद डिजिटल तरीके से धन के लेन देन में भारी इजाफा हुआ है। रोहतगी ने न्यायालय से कहा कि देश में मुद्रा की कोई कमी नहीं है परंतु इसे देश के दूर दराज तक पहु्रंचाना कठिनाई का काम है।



 

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