नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी के पूर्व प्रमुख यू के सिन्हा ने कहा है कि यह नियामक कुछ हद तक कठोर रवैया अपना सकता है क्योंकि उसे यह संदेश तो देना ही होगा कि नियमों का उल्लंघन करने वाला कोई भी व्यक्ति दंडित हुए बिना नहीं रहेगा।
सिन्हा छह साल के कार्यकाल के बाद पिछले सप्ताह सेवानिवृत्त हो गए। उनके कार्यकाल में सेबी ने बाजार में धोखाधड़ी करने वालों व डिफाल्टरों के खिलाफ ‘कठोर‘ होने की छवि अर्जित की। सेबी पर प्रोफेसर सूरज श्रीनिवासन व रिसर्च एसोसिएट राधिका काक के एक अध्ययन में सिन्हा ने नियामक प्रमुख के रूप में अपने विचार व अनुभवों को साझा किया है।
उन्होंने कहा है, ‘सेबी का काम यह संतुलन साधना है कि वह बहुत कठोर होने के साथ साथ सैद्धांतिक भी रहे और यह सुनिश्चित करे कि वह नुकसान पहुंचाने वाला नहीं हो।’ अध्ययन के अनुसार सिन्हा ने कहा, ‘उचित सोच समझ के साथ कोई भी यह फैसला कर सकता है कि क्या करने की जरूरत है लेकिन उपाय गलत तरीके से किए जाते हैं तो वे इतने विध्वंसकारी हो सकते हैं कि तय उद्द्श्यों को ही पराजित कर दें।’
सिन्हा ने जिक्र किया है कि शुरू में लोग उनका परिचय एसबीआई (स्टेट बैंक आफ इंडिया) प्रमुख के रूप में भी करवा देते थे। सेबी (एसईबीआई) व एसबीआई काफी समान दिखते हैं। लेकिन आज ऐसा नहीं है और देश के छोटे छोटे गांव में भी लोग सेबी का मतलब जानते हैं। -(एजेंसी)