नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को कहा कि वह कम अवधि में तैयार होने वाली अरहर की नयी किस्म पूसा-16 जनवरी तक जारी करेगी। अरहर की इस नयी किस्म की प्रायोगिक खेती चल रही है। देश में अरहर का उत्पादन मांग से कम है इसका उत्पादन और आपूर्ति बढाने के प्रयासों के तहत दलहनों की जल्दी तैयार होने वाली और अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास का प्रयास किया जा रहा है।
उम्मीद है कि नयी किस्म की अरह से अगले तीन साल में देश को दालों के मामले में आत्म निर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) का दौरा किया जहां अरहर की नई किस्म की प्रायोगिक खेती की जा रही है।
उन्होंने नयी किस्म की अरहर की प्रायोगिक फसल का निरीक्षण करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हम अरहर की इस नई किस्म (पूसा-16) को जल्द ही वाणिज्यिक खेती के लिये पेश करेंगे। जैसे ही इसकी वाणिज्यिक खेती में इस्तेमाल शुरू होगा निश्चित तौर पर इसका काफी प्रभाव होगा।’ देश में दालों का उत्पादन इनकी कुल मांग 2.30 से 2.40 करोड़ टन के मुकाबले कम है।
पिछले दो साल देश में सूखा पडऩे की वजह से दालों का उत्पादन घटा है। उत्पादन घटने से हाल में दालों के दाम आसमान छूने लगे थे। इसे देखते हुए महंगाई पर काबू पाने के लिये सरकार को अनेक उपाय करने पड़े। जेटली ने कहा कि अरहर की इस नई किस्म से पूरे देश को काफी फायदा होगा।