नई दिल्ली। अब नौकरीपेशा लोगों के लिए पीएफ कटवाना जरूरी नहीं होगा। सैलरी से पीएफ कटवाना है या नहीं, ये कर्मचारी पर निर्भर करेगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए नियमों में बदलाव किए हैं। यह बदलाव अभी मुख्य रूप से एक्सपोर्ट इंडस्ट्री के लिए लागू होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ईपीएफ कानून में संशोधन किए बिना ही कर्मचारियों के वेतन से कटौती को जरूरी न करने के संदर्भ में नोटिस जारी कर दिया है। सरकार ने अपने इस कदम की जानकारी कैबिनेट नोटिस के तौर पर कपडा मंत्रालय के जरिए दी है।
इस नए बदलाव के बाद अब 15,000 रूपए प्रति माह से कम वेतन पाने वाले कर्मचारी के अपना पीएफ कटवाने या न कटवाने का विकल्प होगा। यानी उसे पीएफ कटवाना जरूरी नहीं होगा। कंपनी अब कर्मचारी की सहमति मिलने के बाद ही उसके वेतन से पीएफ काट सकेगी। यह बदलाव अभी मुख्य रूप से एक्सपोर्ट इंडस्ट्री के लिए लागू होगा। लेकिन इससे कर्मचारियों को एक नुकसान भी उठाना पड सकता है। लाइवमिंट के मुताबिक, पीएफ के साथ कर्मचारियों को जो पेशन स्कीम का लाभ मिलता है वह पीएफ न कटने की वजह से नहीं मिल पाएगा।
अभी यह सुविधा है कि जिन लोगों का पीएफ कट रहा है उन्हें 60 साल का होने के बाद पेंशन के रूप में एक निश्चित रकम देने की व्यवस्था है। यह पेंशन पीएफ न कटाने वाले कर्मचारियों को नहीं मिलेगी। खबर में ऐसा भी कहा गया है कि मंत्रिमंडल के नए निर्देश के बाद श्रम मंत्रालय अब पीएफ एक्ट में बदलाव कर कम से कम 12 प्रतिशत पीएफ काटने के नियम को आसान बनाकर कटने वाली राशि का प्रतिशत कम भी कर सकता है।