नई दिल्ली। उद्योग संगठनों ने कार्पोरेट कर और न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) में भारी कमी किए जाने के साथ ही व्यक्तिगत आयकर में छूट की सीमा भी बढ़ाकर पांच लाख रूपए करने का सुझाव दिया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट पूर्व चौथी परिचर्चा के दौरान उद्योग एवं व्यापार संगठनों के प्रतिनिधियों और देश के प्रमुख उद्योगपतियों ने ये सुझाव दिए हैं। इस दौरान उद्योग प्रतिनिधियों ने कार्पोरेट कर में कमी लाने और कर में छूट समाप्त करने का सुझाव देते हुए कहा कि इससे कर अनुपालना के जरिए बकाया वसूली बढऩे के साथ ही भारत को निवेश के लिए आकर्षक केन्द्र बनाने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) में भारी कमी लाने या इसे पूरी तरह से समाप्त करने के साथ ही इंफ्रा और सामाजिक क्षेत्र में सरकारी निवेश बढ़ाने के सुझाव दिए। सिचाई और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाकर ग्रामीणों के व्यय क्षमता बढ़ाने की बात भी कहीं गई।
उन्होंने व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रूपए करने की वकालत करते हुए कहा कि नोटबंदी के कारण बैंकों के पास अतिरिक्त पूंजी आ गयी है जिसके मद्देनजर विनिर्माण एवं छोटे उद्यमियों के लिए ब्याज दरों में कमी की जानी चाहिए।