बैंकों के एनपीए का समस्या भारत के लिए बहुत बड़ी नहीं : जेटली

Samachar Jagat | Tuesday, 25 Apr 2017 06:46:01 AM
NPA problem of banks is not big enough for India: Jaitley

न्यूयार्क । वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि बैंकिंग प्रणाली में फंसे कर्ज की समस्या भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए ऐसी नहीं है जिससे कि पार न पाया जा सके क्योंकि यह समस्या केवल 20-30 बड़े खातों तक ही सीमित है।

जेटली ने यहां विदेशी संबंध परिषद के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हालांकि, यह जरूर कहा कि बैकों में गैर-निष्पादित राशि एनपीए की समस्या लंबे समय से चली आ रही है और निश्चित रूप से इसका बैंकिंग प्रणाली पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

उन्होंने कहा कि एनपीए की यह समस्या हजारों खातों में नहीं फैली है और इसका समाधान करना इस समय हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है क्योंकि इससे निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

जेटली ने कहा कि जो भी कंपनियां इसमें फंसी हैं उन्हें कोई भागीदार ढूंढना होगा या फिर उन्हें प्रबंधन बदलना होगा अथवा नया निवेशक तलाशना होगा। इसके लिए जल्द ही कोई समाधान निकालना होगा।

वित्त मंत्री ने कुछ गैर-सरकारी संस्थानों को विदेशी चंदा लेने से रोकने के सरकार के कदम का भी बचाव किया। उन्होंने कहा कि एक सामाजिक संगठन होने के नाते अच्छा काम करने मात्र से ही वह कानून से नहीं बच सकते हैं।

जेटली ने कहा कि इन संस्थानों पर दबाव बढ़ाकर सरकार जो संदेश देना चाहती है कि एक सामाजिक संगठन होने के नाते अच्छा काम करने के बावजूद उन्हें कानूनी दायरे से बाहर रहकर काम करने की आजादी नहीं मिल जाती है। उन्होंने कहा कि भारत विदेशी निवेश के लिए काफी खुला देश है इसके बीच सरकार यह कदम उठा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘विदेशी मुद्रा नियमन कानून एफसीआरए के तहत एक शर्त है, वह यह कि जब आप किसी खास प्रणाली के तहत कोई धन प्राप्त करते हैं तो आपको वह धन उसी काम में इस्तेमाल करना होगा जिसके लिए उसे प्राप्त किया गया है। इसके लिए आपको सालाना रिटर्न भी दाखिल करनी होगी। इसके आंकडे जारी किए जा चुके हैं कि कितने संगठनों ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया है।’’



 

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