इन्टरनेट डेस्क। पीएमओ से नए आदेश प्राप्त होने के बाद होटल और रेस्त्रां में सर्विस चार्ज को लेकर चल रही बहस अब खत्म हो गई है।
अब उपभोक्ता के लिए जरूरी नहीं कि वो बाहर खाने पर बिल के साथ जुडऩे वाले सर्विस चार्ज देना अनिवार्य है। अगर वह चाहे तो सर्विस चार्ज दे, होटल वाले इसे लिए उसे मजबूर नहीं कर सकते है।
इससे पहले जनवरी में भी सरकार की तरफ से उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा था कि होटल, कंपनी और रेस्त्रां चलाने वाले सर्विस चार्ज देने के लिए ग्राहकों को किसी भी प्रकार से बाध्य नहीं कर सकेंगे।
साथ ही मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कोई भी कंपनी, होटल या रेस्त्रां ग्राहकों से जबर्दस्ती सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकता। मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वह कंपनियों, होटलों और रेस्त्रां को इस बारे में सूचित कर दें।
होटल और रेस्त्रां टिप्स के मालिक उपभोक्ताओं के खाने के बिल में 5 से 20 प्रतिशत तक सर्विस चार्ज लगाते हैं जिसका पेमेंंट करने के लिए उपभोक्ताओं को कहा जाता है। जिसका सर्विस की श्रेणी से कोई लेना-देना नहीं होता है।
यह कहा गया है कि बिल में टैक्स जोडऩे के बाद सर्विस चार्ज नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि यह टैक्स की श्रेणी में नहीं है बल्कि एक प्रकार की टिप है।
यानी, अगर उपभोक्ता को लगे कि उसे मिली सेवा से वह पूर्णत: संतुष्ट है तो वह सर्विस चार्ज दे, अन्यथा एक रूपया भी ना दे।