RBI कर रहा मौद्रिक नीति की समीक्षा, घट सकती है ब्याज दर

Samachar Jagat | Wednesday, 07 Dec 2016 09:52:08 AM
Monetary Policy preview Will the RBI cut interest rates today

नई दिल्ली। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो दिवसीय बैठक मंगलवार को शुरू हो गई। माना जा रहा है कि नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले असर को देखते हुए समिति मुख्य नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत कटौती कर सकती है। माना जा रहा है कि आरबीआई ब्याज दरें भी कम कर सकता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में एमपीसी की यह दूसरी बैठक है।

पहली बैठक अक्टूबर में हुई थी तब भी समिति ने रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत करने का फैसला किया था। जनवरी 2015 के बाद से रिजर्व बैंक मुख्य नीतिगत दर में 1.75 प्रतिशत कटौती कर चुका है। नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक की यह पहली मौद्रिक नीति समीक्षा है। सरकार ने गत आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोट बंद करने की घोषणा की। स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक रजनीश कुमार ने कहा, ‘कुछ भी कहना मुश्किल है, क्योकिंग एमपीसी को अब फैसला करना है। हो सकता है 0.25 से 0.50 प्रतिशत तक कटौती हो, हर कोई इसकी उम्मीद कर रहा है लेकिन यदि कोई कटौती नहीं होती है तो यह बड़ा आश्चर्य होगा।’  केनरा बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ राकेश शर्मा ने कहा, मुद्रास्फीति में नरमी आने के साथ, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है।’

बंधन बैंक के प्रबंध निदेशक चंद्र शेखर घोष ने भी कहा कि रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद है। अक्तूबर माह की मुद्रास्फीति नीचे आई है। नोटबंदी के कदम से भी नवंबर की मुद्रास्फीति और नीचे आने की उम्मीद है। इस बीच वित्तीय साख निर्धारक एजेंसी फिच ने एक रपट में कहा है कि मुद्रास्फीति की नरमी को देखते हुए भारत में मौद्रिक नीति और उदार बनाने की गुंजाइश है। मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे चल रही है।

फिच ने ‘2017 आउटलुक : एमर्जिंग एशिया सॉवेरेन्स’ ने लिखा है कि भारत की वृद्धि दर की संभावना मजबूत बनी हुई है। उसकी इस अनुमान का आधार बुनियादी ढ़ाचे पर खर्च और सरकार द्वारा महत्वाकांक्षी सुधार कार्यक्रमों का क्रियान्वयन है। अक्टूबर 2016 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत थी जबकि रिजर्व बैंक ने मार्च 2017 के लिए इसको चार प्रतिशत से दो प्रतिशत कम या अधिक के दायरे में सीमित रखने का लक्ष्य रखा है।

 



 

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