मॉरीशस को नई कर-संधि: भारत में एफडीआई का शीर्ष स्रोत बने रहने की उम्मीद

Samachar Jagat | Monday, 21 Nov 2016 03:29:13 AM
Mauritius hopes to remain top FDI source despite new treaty


मुंबई। मॉरीशस इस बात को लेकर आशावान है कि नई संधि में भी वह भारत में विदेशी निवेश के सबसे बड़ा सा्रेत बना रहेगा। उसने यह बात ऐसे समय कही है जबकि संधि के ब्योरे को लेकर बातचीत जारी है।

भारत और मारीशस ने मई में भारत-मारीशस कर संधि में संशोधन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसका मकसद भारत में निवेश करने वाली मारीशस की कंपनियों पर सिद्धांत रूप से चरणबद्ध तरीकरे से पूंजीगत लाभ कर लागू करना है।

यहां ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज एआईएआई द्वारा अपने सम्मान में आयोजित दोपहर के भोज के अवसर पर उद्यमियों की बैठक के दौरान मारीशस के प्रधानमंत्री सर एनेरूड जगन्नाथ ने पीटीआई भाषा से अलग से बातचीत में कहा, ‘‘शुरुआती संधि दोहरे कर से बचाव के लिए थी। यह मारीशस और भारत दोनों के लिए अनुकूल थी क्योंकि यहां कई निवेश मारीशस के रास्ते आ रहे थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के संबंध सदा मजबूत रहे हैं और मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि इसमें कोई बदलाव आएगा। यह बहुत प्रगाढ़ है और हम इसे और प्रगढ़ करने के लिए प्रयासरत हैं।’’

मारीशस के प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं राजनयिक संबंध निरंतर बढ़ रहे हैं। उन्होंने अपने देश में भारतीयों द्वारा किए गए बड़े निवेश को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं दिखता जिससे संबंधों की यह गति आगे न बनी रहे।

जगन्नाथ ने कहा कि जब भारत सरकार ने दशकों पुरानी संधि को समाप्त करने का फैसला किया, उनके पास भारत के साथ बातचीत के अलावा कोई विकल्प नहीं था

उन्होंने कहा, ‘‘हम अब भी इसकी जगह कुछ नया लाने के लिए बातचीत कर रहे हैं....।’’

पुरानी संधि को समाप्त किए जाने के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर मारीशस के प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मारीशस अभी भी वित्तीय कें्रद बना हुआ हैं और यह बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ है। हम अर्थव्यवस्था विविधता लाने का प्रसास कर रहे हैं। हम अपने वित्तीय केंद्र को होने वाले नुकसान की भी भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें वास्तविकता पुरानी संधि को समाप्त किए जाने की के साथ जीना है। हम और कुछ नहीं कर सकते।’’

उन्होंने कहा कि मारीशस स्वयं की व्यवस्था में विविधता लानेे की कोशिश कर रहा है और साथ ही नई संधि के लिए बातचीत कर रहा है।

जगन्नाथ ने कहा, ‘‘हम पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में कह चुके हैं कि नई संधि उन अन्य देशों के साथ की जाने वाली भारत की संधियों से कम अनुकूल नहीं होना चाहिए जिनका भारत के साथ पहले से संधि थी।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘भारत ऐसा सब कुछ करेगा जिससे हमें नुकसान नहीं हो, इसीलिए हम अब भी बातचीत कर रहे हैं। मैं यह नहीं कह सकता कि अंतिम परिणाम क्या होगा।’’



 

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