नई दिल्ली। महीने की पहली तारीख को देश भर में बैंकों में आज एक बार फिर लंबी कतारें और भीड़ देखने को मिली लेकिन वेतनभोगियों के साथ आम लोगों को ज्यादातर निराशा सामना करना पड़ा। ज्यादातर एटीएम बंद रहे जबकि अनेक बैंकों ने कम नकदी को देखते हुए ग्राहकों तय सीमा से भी कम पैसा दिया।
तमिल नाडु में बड़ी संख्या में लोग बारिश के बावजूद बैंकों व एटीएम बाहर कतारों में खड़े रहे। केरल, गुजरात, महाराष्ट्र व पंजाब सहित अन्य राज्यों में भी लोग अपने घरेलू खर्च आदि के लिए पैसा निकालने में मशक्कत करते देखे गए।
बैंकों को उनकी जरूरत से बहुत कम ही नकदी मिल रही है जिस कारण अनेक बैंकों में तो नकदी दोपहर से पहले ही खत्म हो गई। अनेक लोगों ने शिकायत की कि बैंक उन्हें रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा से भी कम पैसा या नकदी दे रहे हैं। यह सीमा प्रति व्यक्ति 24000 रुपए की है।
बैंकों ने हालांकि, 90 प्रतिशत एटीएम को नए नोटों के अनुरूप ढाले जाने का दावा किया है लेकिन इसके बावजूद एटीएम से नकदी नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ 2,000 रुपए का नोट हाथ में होने के बाद बाजार में खरीदारी नहीं हो पा रही है क्योंकि छोटी मुा उपलब्ध नहीं है।
लोगों की शिकायत बैंकों व एटीएम में जल्द नकदी समाप्त होने के साथ साथ इस बात को लेकर है कि उन्हें 2000 रुपए के ही नोट दिए जा रहे हैं। यह अपने आप में एक नई समस्या है। यही कारण है कि देश के कई हिस्सों में ग्राहकों व वेतनभोगियों का गुस्सा बैंककर्मियों पर निकला।
बैंकरों का कहना है कि यह स्थिति अगले 6-7 दिन और बनी रह सकती है क्योंकि वेतनभोगी व पेंशनभोगी ज्यादा से ज्यादा पैसा निकालने की कोशिश करेंगे।
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कल दावा किया था कि वेतन बांटने के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। बैंकों में अतिरिक्त नकदी भेजी जा रही है। लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ अलग ही तस्वीर पेश कर रही है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि नए नोटों के वितरण में पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों से भेदभाव किया जा रहा है।
गुजरात में भी यही स्थिति देखने को मिली। यहां भी बैंक शाखाओं और एटीएम के बाहर लंबी लाइनें दिखीं। वेतनभोगी और पेंशनर पहली तारीख होने पर नकदी पाने के लिए लाइन में खड़े थे।
अहमदाबाद से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार बैंकों ने उपलब्ध नकदी की तंगी को देखते हुए ग्राहकों को आनुपातिक राशि ही उपलब्ध करा रहे हैं।