नई दिल्ली। भारत चाहता है कि दुनिया के सभी तरल प्राकृतिक गैस एलएनजी आयातक देश उचित दाम और सौदे के लिये आपस में हाथ मिलायें। भारत एलएनजी का चौथा बड़ा आयातक देश है। इसके अलावा जापान और कोरिया भी बड़ी मात्रा में एलएनजी का आयात करते हैं।
भारत और जापान ने सितंबर 2013 में एलएनजी खरीदारों का एक बहुपक्षीय समूह बनाया था ताकि ईंधन खरीद के लिये निर्यातक देशों के साथ कम मूल्य पर समझौता किया जा सके। भारत चाहता है कि इस समूह में और आयातक देश भी शामिल हों।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 5वें आईईएफ-आईजीयू मंत्रिस्तरीय फोरम में कहा कि भारत सहित एशिया में कई बड़े एलएनजी आयातक देश हैं जिन्हें आपस में हाथ मिलाने का लाभ मिल सकता है। इससे सभी को उचित दर पर व्यापार समझौता करने में मदद मिलेगी।
पिछले दो साल के दौरान कच्चे तेल के दाम घटने के साथ ही गैस कीमतों में भी गिरावट आई है। लेकिन इसके बावजूद एलएनजी के सबसे बड़े आयातक एशियाई देशों ने कभी-कभी उत्तरी अमेरिका में इस्तेमाल पाइप वाली गैस के मुकाबले गहरी समुद्र से निकाली गई गैस के लिये पांच से छह गुना अधिक दाम दिया है।
अमेरिका में शेल गैस की बढ़ती उपलब्धता से गैस के दाम नीचे आये हैं। एशियाई देशों की कमजोर पड़ती मुद्रा की वजह से भी आयात मूल्य ऊंचा रहा है। जापान के साथ हाथ मिलाने के बाद भारत, दक्षिण कोरिया और संभवत: चीन को भी खरीदारों के क्लब में शामिल करना चाहता है।
प्रधान ने कहा है कि पिछले 18 से 24 माह के दौरान एलएनजी के दाम में तेल के दाम के अनुरूप नरमी में रहे हैं। मांग और आपूर्ति की स्थिति के मुताबिक इसमें बदलाव होता रहा है। हमने यह भी देखा है कि एलएनजी अनुबंध प्रणाली दीर्घकालिक अनुबंध के बजाय अब अल्पकालिक अनुबंध में बदलने लगी है।
उन्होंने कहा कि विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में एलएनजी बाजार में खरीदारों का ही बोलबाला रहेगा। एलएनजी खरीदारों के समक्ष विकल्प बने रहेंगे। हाल के दिनों में गैस मूल्यों में अंतर बढऩे के बाद हाजिर बाजार मूल्यों में अधिक लचीलापन लाया जाना चाहिये।
भारत एशिया में पहला देश रहा है जिसने गैस के दाम घटने के बाद कतर के साथ दीर्घकालिक एलएनजी आयात समझौते पर फिर से बातचीत की। पिछले साल दिसंबर में 25 साल के गैस आयात समझौते पर पुनर्विचार किया गया जिसमें दाम पहले के अनुबंध के मुकाबले करीब आधे रह गये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 तक कच्चा तेल आयात पर निर्भरता 10 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिये घरेलू तेल एवं गैस का उत्पादन बढ़ाने और प्राकृतिक गैस बाजार और अक्षय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा।
प्रधान ने कहा कि भारत की प्राथमिक ऊर्जा खपत में गैस का हिस्सा 6.5 प्रतिशत है जो कि वैश्विक औसत के मुकाबले काफी कम है। सरकार इस हिस्से को बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना चाहती है।
इसके लिये वार्षिक गैस खपत को मौजूदा 50 अरब घनमीटर से बढ़ाकर 200 अरब घनमीटर से अधिक करना होगा। उन्होंने कहा कि गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिये घरेलू और आयात स्तर पर इसकी उपलब्धता बढ़ानी होगी। इसके साथ ही एलएनजी आयात टर्मिनल सहित समूची ढांचागत व्यवस्था भी करनी होगी।