नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को अप्रत्यक्ष कर की दिशा में सबसे बड़ा सुधार बताते हुये कहा कि इस 01 जुलाई से लागू करने की कोशिश की जा रही है।
जेटली ने यहाँ ऑडिटरों के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि जीएसटी से अप्रत्यक्ष कर तंत्र बदल जायेगा। अबतक यह बहुत जटिल है और जीएसटी के आने के बाद यह बेहद सरल हो जायेगा। एक राष्ट्र एक कर की अवधारणा को साकार करते हुये जीएसटी में केन्द्र और राज्य के अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जायेंगे। उन्होंने जीएसटी को गेम चेंजर बताते हुये कहा कि इसके लागू होने पर कर चोरी करना असंभव हो जायेगा और पारदर्शिता आने के साथ ही कर प्रशासन की दक्षता भी बढ़ेगी। इससे कई उत्पादों के दाम कम होने के साथ पूरे देश में वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के संकेतकों के मजबूत होने का उल्लेख करते हुये कहा कि अर्थव्यवस्था दृढ़ है और महंगाई, राजकोषीय घाटा तथा चालू खाता घाटा नियंत्रण में हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में भारत दुनिया का सबसे पंसदीदा स्थल है और पिछले दो-तीन वर्ष में कई क्षेत्रों को इसके लिए खोला गया है।
वित्त मंत्री ने नोटबंदी का उल्लेख करते हुये कहा कि इससे अनौपचारिक धनराशि औपचारिक अर्थव्यवस्था की हिस्सा बन गयी। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को छोडक़र सभी देशवासी बैंङ्क्षकग सेवाओं से जुड़ चुके हैं और नोटबंदी के बाद देश डिजिटल लेनदेन और लेसकैश अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक पारदर्शी और सक्षम बनी है।
श्री जेटली ने सडक़ निर्माण, ग्रामीण विद्युतीकरण, स्वच्छ भारत अभियान और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए मोदी सरकार द्वारा किये गये उपायों का उल्लेख करते हुये कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में अनिश्चितता, वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्त वृद्धि, निजी निवेश में बढ़ोतरी करना और बैंकों के जोखिम में फंसे ऋण की समस्या से निपटना सरकार के लिए अभी सबसे बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा और यह सात-आठ प्रतिशत आर्थिक विकास दर हासिल करेगा। इस सम्मेलन में 36 राष्ट्रमंडल देशों के 74 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। -(एजेंसी)