नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर को वस्तु एवं सेवाकर को लागू करने के लिए अलग से विशेष कानून पारित करना होगा। राज्य की मौजूदा संवैधानिक स्थिति नए अप्रत्यक्ष कर सुधारों को राज्य में लागू करने का आदेश नहीं देती है।
लोकसभा में कल पेश किए गए केन्द्रीय जीएसटी और एकीकृत जीएसटी विधेयक में प्रावधान है कि ये जम्मू और कश्मीर को छोडक़र पूरे देश में लागू होगें। देश में एक जुलाई से जीएसटी लागू करने से पहले संसद में इन विधेयकों को पारित कराना जरूरी है।
देश में सेवाकर वर्ष 1994 से लगना शुरू हुआ है, लेकिन यह जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं है। राज्य में दी जाने वाली सेवाओं पर राज्य सरकार खुद के कर लगाती है। ऐसा इसलिए है कि संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ है। जम्मू और कश्मीर के मामले में संसद को केवल रक्षा, विदेशी मामलों और दूरसंचार से जुड़े मुद्दों पर ही कानून बनाने का अधिकार है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संसद में जैसे ही केन्द्रीय जीएसटी और एकीकृत जीएसटी विधेयक पारित होंगे उसके बाद जम्मू और कश्मीर विधानसभा में एक अलग विधेयक पारित कराना होगा जिसमें यह प्रावधान होगा कि ये दोनों कानून राज्य में भी लागू माने जाएंगे।
सूत्रों का कहना है कि जम्मू और कश्मीर विधानसभा में यह विधेयक पारित होते ही केन्द्र सरकार को केन्द्रीय जीएसटी और एकीकृत जीएसटी में संशोधन करना होगा और उन शब्दों को हटाना होगा जिनमें कहा गया है कि यह कानून जम्मू और कश्मीर को छोडक़र पूरे देश में लागू होगा।
जम्मू कश्मीर शब्द हटने पर यह कानून राज्य में भी लागू होंगे। जीएसटी व्यवस्था में चार दरें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत तय की गई हैं। हालांकि, विधेयक में अधिकतम 40 प्रतिशत तक की शीर्ष दर रखी गई है। यह दर वित्तीय आपात स्थिति को ध्यान में रखते हुए रखी गई है।