मुंबई। बीमा नियामक इरडा ने सार्वजनिक क्षेत्र की गैर-जीवन बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी (एनआईसी) के साथ जुड़े एक एक्चुअरी (भविष्य का लेखा जोखा तैयार करने वाले पेशेवर) की सदस्यता समाप्त कर दी है।
एक्चुअरी का काम भविष्य की संभावित आय व्यय के अनुमानों के हिसाब से नए बीमा उत्पाद (पालिसी) तैयार करने में मदद करना होता है।
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने यह दंडात्मक कार्रवाई एक्चुअरी मनालूर शांडिल्य द्वारा एनआईसी की वित्त वर्ष 2015-16 के लिए बनाई गई हिसाब बही (बैलेंस शीट) में कथित रूप से गड़बड़ी किए जाने के आरोप में उन पर यह कार्रवाई की है।
इरडा के आरोपों के अनुसार, इस एक्चुअरी ने बैलेस-शीट तैयार करते समय बीमा दावों के मद में धन का प्रावधान सही तरह से नहीं किया था।
इरडा ने एक बयान में कहा कि वाणिज्यिक वाहनों की बीमा पालिसी के कारोबार में थर्ड पार्टी बीमा के लिए उस वर्ष बीमित राशि के 130 प्रतिशत के बराबर दावों से संबंधित प्रावधान बनता था पर एक्चुअरी ने केवल 46.58 प्रतिशत के बराबर प्रावधान रखा।
इस एक्चुअरी ने इरडा के साामने कहा था कि इस मद में कंपनी को 7,293 करोड़ रुपए के व्यय का प्रावधान करना चाहिए था पर जबकि उन्होंने 3,030 करोड़ रुपए के बराबर प्रावधान को ही प्रमाणित किया। इससे कंपनी की बैलेंस-शीट में भविष्य के लिए व्याय के प्रावधान के मद मेंं 4,263 करोड़ रुपए का बकाया रह गया है।
ऐसी स्थिति को बीमा कंपनियों की भाषा में आईबीएनआर यानी ‘व्यय हुआ पर दर्शाया नहीं’ कहा जाता है। एक्चुरी ने आईबीएनआर की सही तस्वीर नहीं दी । इस कारण कंपनी का निदेशक मंडल समय रहते पालिसी धारकों के हितों की रक्षा के लिए समय से कदम नहीं उठा सका।
शांडिल्य भारत में एक्चुअवरी पेशे के सबसे वरिष्ठ लोगों में गिने जाते हैं। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सनत कुमार ने कहा कि वह 31 मार्च 2016 की स्थिति के अनुसार कंपनी के एक्चुअरी पैनल में थे पर उन्हें कंपनी का पूर्णकालिक एक्चुअरी नहीं बनाया गया था।