सिंगापुर। भारत को अपने नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम, जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों और कभी ना खत्म होने वाली बिजली की मांग को पूरा करने के लिए परमाणु बिजली संयंत्रों के निर्माण की गति को तेज करना चाहिए। एक अंतरराष्ट्रीय परमाणु संस्था के प्रमुख ने यह विचार व्यक्त किया है।
विश्व परमाणु संघ के महानिदेशक एग्नेटा राइजिंग ने कहा, ‘‘भारत में अभी पांच परमाणु रिएक्टर निर्माणाधीन हैं जिनकी संयुक्त क्षमता 3,300 मेगावाट है। लेकिन एक बड़ी जनसंख्या वाले देश के लिए यह बहुत कम है।’’
भारत में पहला परमाणु बिजली संयंत्र 1969 में परिचालन में आया। जबकि चीन में यह कार्य 1994 में हुआ। चीन में अभी 22,596 मेगावाट क्षमता के 20 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं।
संघ की एशिया स्पेशल अपडेट रपट के अनुसार पेट्रोलियम संपन्न सऊदी अरब में भी पहला परमाणु बिजली संयंत्र 2022 तक काम करने लगेगा। अभी वहां 17,000 मेगावाट क्षमता के 16 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं।
राइजिंग ने कहा कि भारत के पास अपने परमाणु संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी है, विशेषज्ञता है और कौशल भी उपलब्ध है। भारत पर यूरेनियम आयात के लिए कोई प्रतिबंध भी नहीं है इसके बावजूद भारत में एक रीएक्टर को पूरा करने में सात साल लग गए।
दुनिया में 2015 में एक परमाणु रिएक्टर लगने में औसतन 73 महीने का समय लगा है। उन्होंने कहा कि भारत को परमाणु रिएक्टर का निर्माण कार्य तेज करना चाहिए।