उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिले (पूर्वांचल) के आम आदमी को इस साल आम नसीब नहीं हो पाएगा क्योंकि केवल पांच से दस प्रतिशत ही पेड़ों आम लगा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बस्ती मंडल के जिले बस्ती, सिद्धार्थनगर,संतकबीरनगर,गोरखपुर, मंडल के जिलो गोरखपुर , कुशीनगर, देवरिया, महरागंज, आजमगढ़, मंडल के जिले आजमगढ़ बलिया, मऊ, इलाहाबाद, मंडल के जिले कौशाम्बी, इलाहाबाद, फतेहपुर, प्रतापगढ़, अम्बेडकरनगर,बाराबंकी,सुल्तानपुर,मिर्जापुर, मंडल के जिलो मिर्जापुर, संतरविदासनगर, सोनभद्र-,बाराणसी गंडल के जिलो-वाराणसी, चन्दौली गांजीपुर, जौनपुर, देवीपाटन मंडल के गोण्डा, बलरापुर,बहराईच, श्रावस्ती,जिलों में इस वर्ष आम की फसल बहुत कम है।
इस क्षेत्र के नागरिको का मानना है कि लगभग 30 वर्षो के बाद इस बार आम की फसल इतनी कम आई है। आम की फसल कम आने के कारण बाहर से जो आम आएगा वह मंहगा बिकेगा उसे आम आदमी खरीद कर नहीं खा पाएगा। उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष 35 लाख टन से भी अघिक आम का उत्पादन हुआ था। प्रदेश में ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की बागवानी होती है। पिछले वर्ष पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी आम की फसलें अच्छी थी।
उत्तर प्रदेश के ख्यति प्राप्त औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र बस्ती के संयुक्त निदेशक डा. आरके तोमर ने आम की कम फसल आने के कारणो पर प्रकाश डालते हुए ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि आम की फसल एक साल के अन्तराल पर फलता है पिछले वर्ष आम की अच्छी फसल थी। इसी कारण इस वर्ष कम फल आया है दुसरा प्रमुख कारण वे बताते है आम में बौर लगने के समय जनवरी फरवरी माह मे मौसम अनुकूल नहीं था इस कारण आम के पेड़ो में बौर की जगह पत्तिया निकल आई।
डा. तोमर ने कहा कि आम के बागो की समुचित रूप से देखभाल न हो पाने के कारण भी आम की फसल इस वर्ष कम आई है। आम में लगने वाले कीडों से पेड़ों और फसलो को बचाने के लिए समुचित उपाय नही हो पाता है अच्छी दवाओं की कमी के कारण भी फसलों का रख रखाव ठीक से नही हो पाता है। इस सम्बन्ध में भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी ओ.पी. सिंह ने बताया है कि दूषित हो रहा पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण के कारण आम के पेड़ो में इस वर्ष फल कम आया है सिंह ने बताया कि दूषित पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण के ही कारण आम के पुराने पेड़ सूख रहे है।
आम भारत का राष्ट्रीय फल है आम का उत्पादन पाकिस्तान, बंग्लादेश, नेपाल, अमरीका, फिलीपीन्स, सयुक्त अरब, अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, जाबिया, माले, ब्राजील, पेरू,केन्या, जमायिका, तन्जानिया, मेडागास्कर, जापरे, हेती, आइवरी, कोस्ट, थाईलैंड, इण्डोनेशिया, श्रीलंका, सहित अन्य कई देशो में आम का उत्पादन होता है। भारत में आम का कुल विश्व उत्पादन का लगभग 62 प्रतिशत उत्पादन होता है।
भारत में आम उगाने वाले क्षेत्रो में सर्वाधिक क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश में है लेकिन सर्वाधिक उत्पादन आन्ध्रप्रदेश में होता है। आम के फल का उपयोग उसके हर अवस्था में किया जाता है। आम की विश्व में लगभग 1100 (एक हजार एक सौ प्रजातिया (किस्मे) पायी जाती है। प्राचीन काल से ही भारत वर्ष में आम का विशेष महत्व रहा है। आम लैटिन भाषा के गैन्जीफेरा इण्डिया एल शब्द से बना है।