नई दिल्ली। आयकर विभाग ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से कथित तौर पर सम्बद्ध ‘बेनामी संपत्तियों’ को अस्थाई तौर पर कुर्क कर दिया है। विभाग ने 13 करोड़ रुपए से अधिक की अघोषित राशि के कथित हेरफेर मामले में यह कार्रवाई की है।
हालांकि, मंत्री ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। जैन ने एक विस्तृत बयान में कहा है कि उनके बारे में ‘गलत धारणा’ बनाने के लिए उनका नाम गलत ढंग से घसीटा जा रहा है। मंत्री ने कहा है कि वे अपनी आय ब्यौरे के बोर में किसी जांच से ‘नहीं डरते’।
विभाग ने नए बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून, 1988 के विभिन्न प्रावधानों के तहत पिछले सप्ताह आदेश जारी किया। यह कानून एक नवंबर 2016 से प्रभाव में आया।
विभाग ने चार ऐसी फर्में चिन्हित कीं जिन्होंने कथित तौर पर ‘शेयर पूंजी के रूप में फर्जी प्रविष्टियां कीं’ और अवैध रूप से संपत्तियां खरीदीं।
जैन ने एक बयान में कहा है, ‘मैंने अपनी सारी कमाई अपनी कठिन मेहनत से अर्जित की है और मैं दशकों से कर चुकाता आ रहा हूं। मैं अपनी आय के ब्यौरे के बारे में किसी जांच से नहीं डरता और न ही मुझे किसी राजनीतिक प्रतिशोध का भय है।’
जैन का कहना है कि वे लगभग 25 साल तक पेशेवर वास्तुकार रहे हैं। मंत्री का कहना है उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। उनका कहना है कि 21 जुलाई 2013 में विधानसभा चुनाव के लिए आप का टिकट मिलने के दस दिन में ही वे इन कंपनियों से अलग हो गए थे। ‘‘31 जुलाई 2013 के बाद से इनमें से किसी भी कंपनी से मैं नहीं जुड़ा हूं।’’
आरोप है कि उक्त चार फर्मों ने दिल्ली व दिल्ली के आसपास कई बीघा जमीन खरीदी है। इस जमीन को आयकर विभाग ने नये कानून के तहत अस्थायी तौर पर कुर्क कर दिया है।
नए बेनामी कानून में सात साल तक के कठोर कारावास व भारी अर्थदंड का प्रावधान है।