नई दिल्ली। देश में स्मार्टफोन की बढ़ती मांग से अगले पांच साल में 80 अरब डॉलर के कलपुर्जों के अवसर उपलब्ध होंगे जिनका घरेलू हैंडसेट कंपनियां फायदा उठा सकती हैं। आईआईएम बेंगलुरू तथा काउंटरपाइंट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू हैंडसेट कंपनियां स्थानीय स्तर पर विनिर्माण के जरिए इस अवसर का लाभ उठाकर आयात पर निर्भरता कम कर सकती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू स्तर पर विनिर्मित मोबाइल फोन का आंकड़ा 2014 मेंं 14 प्रतिशत था जो इस साल बढक़र 67 प्रतिशत हो जाएगा। इसके 2020 के कैलेंडर साल में 96 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है।
हालांकि, भारत में विनिर्मित 67 प्रतिशत हैंडसेट वास्तविक स्थानीय मूल्यवर्धन में सिर्फ छह प्रतिशत का योगदान देंगे, क्योंकि अभी ज्यादातर कंपनियां सेमी नॉक्ड डाउन कलपुर्जों तथा असेंबलिंग उपकरणों का आयात कर रही हैं।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले पांच साल में 2020 तक 15 अरब डॉलर मूल्य के कलपुर्जों की स्थानीय स्तर पर आपूर्ति होगी जिससे देश में करीब 10 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।
इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव अरणा सुंदरराजन ने कहा कि सरकार को इसे हासिल करने के लिए सरकार को इसे हासिल करने के लिए स्थानीय उद्योग और विभिन्न भागीदारों के साथ काम करना होगा। भारत संभवत मोबाइल फोन विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र में विश्व में अगुवा बन सकता है, लेकिन इसे चरणबद्ध तरीके से हासिल करना होगा।
पिछली कुछ तिमाहियों में कई हैंडसेट विनिर्माताओं मसलन माइक्रोमैक्स, शियोमी, जियोनी तथा विवो ने भारत में विनिर्माण सुविधा विकसित की है।