नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में अब एक पखवाड़े से कम का समय बचा है। ऐसे में जीएसटी परिषद् की दो दिन की महत्वपूर्ण बैठक गुरुवार को शुरू होने जा रही है जिसमें कर दरों पर फैसला किया जाएगा। इसमें उपकर लगाने का मुद्दा तथा करदाताओं के अधिकार क्षेत्र का जटिल मुद्दा शामिल है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में केंद्र संभवत चार स्तरीय कर ढांचे 8, 12, 18 और 26 प्रतिशत के अपने प्रस्ताव को आगे बढ़ाएगा। इसमें उच्चतम दरें एफएमसीजी व टिकाउ उपभोक्ता सामानों के लिए होगी।
इस बीच, वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि उपकर के मुद्दे पर मामूली मतभेद हैं। लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि इसे सुलझा लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास सभी मसलों से सहमति से सुलझाने का होगा। हम चाहते हैं कि सभी मुद्दों पर सब साथ आएं। कई बार ऐसा हुआ है जबकि तमिलनाडु या केरल या पश्चिम बंगाल या उत्तर प्रदेश ने कुछ अलग कहा है, लेकिन हम सभी को साथ लाने का प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि जीएसटी को 1 अप्रैल, 2017 से लागू कर दिया जाएगा। उससे पहले सभी मुद्दे सुलझ जाएंगे।’’
केंद्र ने अहितकर वस्तुओं मसलन तंबाकू, ऐरेटेड ड्रिंक और प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त उपकर लगाने का प्रस्ताव किया है, जिससे 50,000 करोड़ रुपए का कोष बनाया जाएगा जिसका इस्तेमाल राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाएगा। इस प्रस्ताव पर पिछली बैठक में विचार हुआ था, लेकिन कुछ राज्यों के विरोध की वजह से इस पर सहमति नहीं बन पाई।
केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य इस उपकर का विरोध कर रहे हैं जबकि उन्हें शुरुआती पांच साल के नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया गया है।