नई दिल्ली। डीबीएस की एक रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की सकल मूल्य वर्धित वृद्धि 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में यह 7.2 प्रतिशत थी। रिपोर्ट के मुताबिक सार्वजनिक पूंजी व्यय समर्थन मिलने से वृद्धि तेज होगी।
वित्तीय सेवा क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी के मुताबिक निजी क्षेत्र में हालांकि, गतिविधियां कमजोर बनी हुई हैं, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र में व्यय बढऩे से वित्तीय आंकड़ों को सहारा मिला है।
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डीबीएस के शोध पत्र में कहा गया है, ''हमारी उम्मीद है कि सकल मूल्य वर्धन की वृद्धि साल दर साल आधार पर 2015-16 के 7.2 प्रतिशत से बढ़कर 7.6 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी।“
डीबीएस के मुताबिक चीन में अचानक तेजी का समाचार मिला है। भारत का विनिर्माण पीएमआई भी अक्तूबर में बढ़ा है। इससे इस समूचे क्षेत्र में चक्रीय तेजी का संकेत मिलता है। भारत का अक्तूबर का निक्केई विनिर्माण पीएमआई करीब दो साल के उच्चस्तर 54.4 पर पहुंच गया जबकि सितंबर में यह 52.1 अंक था।
शोध पत्र में कहा गया है, ''त्यौहारी मौसम में गतिविधियों में आई तेजी से राहत मिलेगी। कर्मचारियों की वेतन वृद्धि से खपत बढऩे और सामान्य मानसून का भी इसमें योगदान होगा।“
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मुद्रास्फीति के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल्य दबाव पर लगातार नजर रहेगी क्योंकि मौद्रिक नीति में नया साल आने तक और उदारता की गुंजाइश कम होती जा रही है। मौद्रिक नीति समिति एमपीसी ने गत चार अक्तूबर को रेपो दर को 6.50 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था।-एजेंसी
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