नई दिल्ली। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि देश में दलहन की कमी दूर करने के लिए बारहवीं योजना के दौरान 40 लाख टन अतिरिक्त दलहन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसे इसके अंतिम वर्ष में पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है।
सिंह ने यहां मेक इन इंडिया के लिए कृषि यंत्रीकरण से संबंधित काफी टेबल बुक के विमोचन समारोह में कहा कि 12वीं योजना के दौरान 40 लाख टन अतिरिक्त दलहन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन इस योजना के शुरुआती दो वर्ष में इसके उत्पादन में कोई वृद्धि नहीं हुई थी तथा इसके बाद दो साल सूखा से प्रभावित रहा था। इस वर्ष स्थिति अनुकूल है और केवल एक वर्ष में ही दलहन उत्पादन के इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिए जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि 2016-17 के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार देश में फसलों के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद की गई है। अग्रिम अनुमान के अनुसार खरीफ के दौरान रिकॉर्ड 13 करोड़ 50 लाख टन खाद्यान्नों के उत्पादन की संभावना है। इस बार 90 लाख 40 हजार टन चावल उत्पादन का अनुमान है जो वर्ष 20।।-12 के रिकॉर्ड को भी तोड़ देगा। वर्ष 2011-12 के दौरान 90 लाख 20 हजार टन चावल का उत्पादन हुआ था।
सिंह ने कहा कि खरीफ के दौरान दलहनों में केवल अरहर का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 75 प्रतिशत अधिक होने की उम्मीद है। दलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए देश के सभी जिलों में विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और दलहनों के बीज की खरीद पर किसानों को प्रति किलोग्राम 25 रुपए की सहायता दी जा रही है। इसके साथ ही 93 केन्द्रों पर दलहनों के बीज का उत्पादन किया जा रहा है।
कृषि मंत्री ने नोटबंदी से बुआयी कार्य बाधित होने के आरोप लगाने वाले नेताओं को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि गत वर्ष 18 नवम्बर तक केवल उत्तर प्रदेश में 14 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआयी हुई थी इस बार इसी तारीख तक इस राज्य में 14.82 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआयी की गई है। पिछले वर्ष इस समय तक 2.68 लाख हेक्टेयर में दलहनों की बुआयी हुई थी जबकि इस बार 8.52 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआयी की गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने दलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसके समर्थन मूल्य में भारी वृद्धि की है और किसानों की जानकारी बढ़ाने के लिए अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
उन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसके शासन के दौरान कोयला और टू जी के लिए धन की कमी नहीं थी लेकिन दाल की किल्लत को दूर करने के लिए बफर स्टाक बनाने के लिए धन का अभाव था।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद दालों का बफर स्टॉक बनाया गया है और इसके लिए पर्याप्त राशि की भी व्यवस्था की गई है।