नई दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई के अनुसार सस्ती काल दरों व प्रोत्साहन पेशकशों के बारे में दूरसंचार आयोग का तर्क सार्वजनिक नीतिगत उद्देश्यों से मेल नहीं खाता है। आयोग की राय है कि दूरसंचार कंपनियों की सस्ती काल दरों व प्रोत्साहन पेशकशों से सरकारी राजस्व घट रहा है और क्षेत्र की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो रही है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) ने आयोग के पत्र के जवाब में यह बात कही है। ऐसा माना जाता है कि ट्राई ने यह भी कहा है कि अच्छे नियमों के लिए उपभोक्ताओं के हित ‘महत्वपूर्ण’ हैं और अधिक राजस्व के लिए इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
ट्राई ने आयोग को भेजे अपने पत्र में कहा है कि यह जानी मानी सच्चाई है कि निम्न शुल्क दरों से ग्रामीण व दूरसंचार इलाकों में दूरसंचार सेवाओं का घनत्व बढाने में मदद मिलती है।
इसके अनुसार वहनीय सेवाएं और उपभोक्ता हित राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2002 के मुख्य बिंदुओं में हैं।
उल्लेखनीय है कि रिलायंस जियो द्वारा कुछ महीने पहले निशुल्क डेटा व वायस पेशकश लाए जाने के बाद से ही इस मुद्दे पर दोनों निकायों में जुबानी जंग हो रही है।