नई दिल्ली। नोटबंदी के चलते नवंबर माह में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार धीमी पड़ी है। नकदी की कमी के चलते घरेलू खपत कमजोर पडऩे से वस्तुओं के उत्पादन, नए आर्डर पर असर पड़ा है। एक मासिक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है।
हालांकि, इसका एक पहलू यह भी है कि मुद्रास्फीतिक दबाव कमजोर पड़ा है और इससे रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में दर में कटौती की उम्मीद बढ़ी है। निक्केई मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स पीएमआई -- नवंबर में घटकर 52.3 अंक रह गया।
इससे पहले अक्तूबर में यह 54.4 अंक पर 22 माह के उच्चस्तर पर पहुंच गया था। पीएमआई के जरिए विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन को आंका जाता है। 50 से अधिक अंक विस्तार का संकेत देते हैं जबकि इससे कम होने पर यह संकुचन को दर्शाता है।
आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और रिपोर्ट तैयार करने वाली पोलीयाना डे लिमा ने कहा, ‘‘नवंबर के पीएमआई आंकड़े दर्शाते हैं कि 500, 1,000 रूपए के नोटों को प्रचलन से अचानक हटा लिये जाने का विनिर्माण गतिविधियों पर असर पड़ा है।
नकदी की कमी से नया काम, खरीदारी गतिविधियां और उत्पादन वृद्धि प्रभावित हुई है। हालांकि, पीएमआई के नवंबर के आंकड़े लगातार 11वें महीने विनिर्माण क्षेत्र में सुधार को दर्शाते हैं।
लीमा ने कहा सर्वेक्षण में कई कंपनियों ने निकट भविष्य में गतिविधियों में और प्रभाव पडऩे की आशंका जताई है जबकि दीर्घकाल में नोटबंदी से वृद्धि तेज होने की उम्मीद है, क्योंकि इससे कई गैर-नियमन वाली कंपनियां बाजार से बाहर होंगी।