नई दिल्ली। यूरोपीय दवा नियामक ईएमए ने उन लगभग 300 दवाओं के निलंबन का सुझाव दिया है जिनके लिए विभिन्न परीक्षण एक भारतीय कंपनी की शोधशाला में किए गए। ईएमए का कहना है कि इन दवाओं के परीक्षण से जुड़ा डेटा विश्वसनीय नहीं है।
उक्त परीक्षण चेन्नई की माइक्रो थेरेप्यूटिक रिसर्च लैब्स ने किए हैं।
उल्लेखनीय है कि किसी भी जेनरिक दवा को मंजूरी देने में इस अध्ययन (बायो इक्विलेंस) का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता है।
यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी (ईएमए) का कहना है कि उन सभी दवाओं के निलंबन के आदेश दिए गए हैं जिनके लिए बायोइक्विलेंस अध्ययन माइक्रो थेरेप्यूटिक रिसर्च के भारत स्थित दो इकाइयों में किया गया।
ईएमए ने एक वक्तव्य में कहा है, ‘‘मानव इस्तेमाल के औषधि उत्पादों की समीक्षा करने वाली ईएमए की समिति ने पाया है कि जून 2012 से जून 2016 के बीच दो स्थानों पर किए गए अध्ययन के आंकड़े विश्वसनीय नहीं हैं और इन्हें यूरोपीय संघ में इन दवाओं के विपणन का आधार नहीं माना जा सकता।’’
ईएमए की इस सिफारिश का अरबिंदो फार्मा, जायडस, सेंडोज, सनोफी और माइलॉन जैसी प्रमुख दवा कंपनियों की दवाओं पर असर होगा।