नई दिल्ली। आर्थिक शोध संस्था एनसीएईआर ने चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। उसके मुताबिक ग्रामीण मांग बढ़ने और विनिर्माण के मोर्चे पर ‘सकारात्मक संकेत’ मिलने से आर्थिक वृद्धि दर बेहतर रहेगी।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान भी आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही थी। उसने कहा एक तरफ कृषि क्षेत्र में संभावित सुधार और उसके साथ ही ग्रामीण मांग में आने वाले सुधार से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
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विनिर्माण क्षेत्र से सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। खरीदार प्रबंधकों का सूचकांक, बुनियादी उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और आटोमोबाइल बिक्री के आंकड़ों में सुधार देखा जा रहा है।
घरेलू विमानन क्षेत्र की वृद्धि भी लगातार तेज बनी हुई है। एनसीएईआर के यहां जारी वक्तव्य में कहा गया है, ‘हालांकि, अन्य सेवा क्षेत्र के सूचकांकों में दबाव बना हुआ है। खाद्य मुद्रास्फीति दूसरी तिमाही के आखिरी हिस्से में गिरने का संकेत है, लेकिन ईंधन मुद्रास्फीति फिर से बढ़ सकती है। शहरी मांग मजबूत बने रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है जबकि बाह्य मांग में उतार चढ़ाव बना हुआ है।’
अनुमान के मुताबिक खरीफ फसल का उत्पादन 10 से 11 प्रतिशत ज्यादा रहने की उम्मीद है। पिछले साल खरीफ मौसम में 12.40 करोड़ टन उत्पादन हुआ था।
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इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत की वित्तीय स्थिति लगातार दबाव में बनी रही। कर राजस्व में अच्छी वृद्धि के बावजूद सरकार का बढ़ता खर्च और गैर-कर राजस्व में उम्मीद से कम प्राप्ति होने से सरकार की राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के दायरे में रखने की परीक्षा हो सकती है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) देश की सबसे पुरानी आर्थिक शोध संस्था है। इसकी स्थापना 1956 में हुई थी।
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