ड्रोन के जरिये देश के दूरदराज के इलाकों में सस्ती ब्रॉडबैंड सर्विस देगी फेसबुक

Samachar Jagat | Tuesday, 08 Nov 2016 09:46:37 AM
Drone affordable broadband service in remote areas of the country will Facebook

नई दिल्ली। देश के दूरदराज के इलाकों में फेसबुक ने अपने सोलर पावर से चलने वाले प्लेन अकीला के इस्तेमाल से अफोर्डेबल मोबाइल इंटरनेट के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने की योजना पर कदम बढ़ा दिया है। दुनिया के सबसे बड़े सोशल नेटवर्क फेसबुक ने इसके लिए भारतीय टेलीकॉम कंपनियों और सरकार के साथ शुरुआती बातचीत शुरू कर दी है।

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फेसबुक ने पहले ही अपने एक्सप्रेस वाई-फाई प्रॉजेक्ट के लिए टेलीकॉम कंपनियों के साथ टाई-अप की शुरुआत कर दी है। फेसबुक के डायरेक्टर (कनेक्टिविटी पब्लिक पॉलिसी), रॉबर्ट पेपर ने ईटी को बताया कि इसका मकसद ग्रामीण इलाकों में ब्रॉडबैंड सर्विसेज मुहैया कराना है।

उन्होंने कहा, 'फाइबर के बिना हर व्यक्ति को फाइबर जैसी स्पीड उपलब्ध कराने के लिए अकीला में इतनी दिलचस्पी ली जा रही है। हमने इस बारे में टेलीकॉम ऑपरेटर्स के साथ चर्चा शुरू की है।'

जिन टेलीकॉम कंपनियों को कम डिमांड की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट सर्विसेज के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मुश्किल आ रही है, वे मोबाइल ब्रॉडबैंड सर्विस देने के लिए फेसबुक के इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस तरह की सर्विस के लिए पर्याप्त डिमांड पैदा होने के बाद टेलीकॉम कंपनियां अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सकती हैं और अकीला प्लेन को किसी अन्य स्थान पर भेजा जा सकता है।

फेसबुक ने जून में अमेरिका में ऐरिजोना के युमा में अपने पहले अकीला प्लेन की टेस्टिंग की थी। यह सोलर पावर से चलने वाला प्लेन है और इसके विंग्स बोइंग 737 से बड़े हैं। फेसबुक इस प्लेन के जरिए इंटरनेट उपलब्ध कराने की लागत को कम करना चाहता है। यह प्लेन 90 दिनों तक हवा में रह सकता है। यह 96 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को इंटरनेट सिग्नल भेजता है।

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पेपर ने बताया कि प्लेन का इस्तेमाल ऐसे क्षेत्रों में किया जा सकता है, जहां नैशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (NOFN) नहीं पहुंचा है। NOFN का नाम बदलकर अब भारत नेट कर दिया गया है। उन्होंने कहा, 'इन क्षेत्रों में NOFN के पहुंचने पर अकीला को किसी अन्य स्थान पर ले जाया जा सकता है। इसमें कोई खर्च नहीं होता। यह डिजाइन का हिस्सा है। अगर यह सफल रहता है तो आपको आने वाले समय में इसकी जरूरत नहीं होगी क्योंकि यह फाइबर नेटवर्क बिछाने के लिए पर्याप्त डिमांड पैदा करेगा।'

फेसबुक ने इससे पहले अपने फ्री बेसिक्स प्रोग्राम के जरिए देश में इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन टेलीकॉम रेग्युलेटर ट्राई के डेटा सर्विसेज की भेदभाव वाली प्राइसिंग पर प्रतिबंध लगाने की वजह से फेसबुक को इसे वापस लेना पड़ा था।



 

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