नई दिल्ली। लंबे समय से कोई कामकाज नहीं कर रही कंपनियों के निदेशकों पर किसी पंजीकृत कंपनी का निदेशक बनने पर पांच साल के लिए रोक लगाने की तैयारी में है। सरकार मुखौटा कंपनियों के जरिए कालेधन के कारोबार पर अंकुश लगाने के प्रयासों के तहत ऐसे कदम उठाने जा रही है।
आमतौर पर मुखौटा या छद्म कंपनियों का इस्तेमाल कालेधन को इधर उधर करने के लिए किया जाता है। सूत्रों ने बताया कि करीब तीन लाख कंपनियां पहले ही जांच के घेरे में हैं। सरकार उल्लंघन करने वाली इकाइयों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इनमें उनका नाम हटाना तथा संबंधित निदेशकों के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है।
कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय लंबे समय से कंपनी कानून के तहत अपना वित्तीय लेखा जोखा जमा नहीं कराने वाली कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर रहा है। इसके लिए वह ऐसी मुखौटा कंपनियों का डेटाबेस बना रहा है जिससे गैरकानूनी कारोबारी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। सूत्रों ने कहा कि उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसमें कंपनी कानून, 2013 के तहत निदेशकों पर रोक लगाना भी शामिल है।
कानून की धारा 164 के तहत कोई व्यक्ति यदि किसी कंपनी में निदेशक और उस कंपनी ने लगातार तीन वित्त वर्षों के लिए सालाना वित्तीय लेखा जोखा जमा नहीं किया है, तो वह किसी अन्य कंपनी का निदेशक रहने का पात्र नहीं रहेगा।
मंत्रालय पहले ही ऐसी 2.96 लाख कंपनियों की पहचान कर चुका है, जिन्होंने लगातार दो या अधिक वित्त वर्षों के लिए अपना वित्तीय लेखा जोखा नहीं दिया है। प्रथम दृष्टया ये कंपनियां किसी तरह की कारोबारी गतिविधियां नहीं कर रही हैं।
कारण बताओ नोटिस के जरिये मंत्रालय ने इन कंपनियों से पूछा है कि क्यों न उनका नाम हटा दिया जाए और यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं होता है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।