नई दिल्ली। इस साल देश में दलहन के रिकॉर्ड उत्पादन होने तथा पहली बार बफर स्टॉक का निर्माण किये जाने के बावजूद दालों की थोक कीमतें पिछले दो सप्ताह के दौरान औसतन 9.50 रुपये प्रति किलोग्राम तक उछल गई है।
पिछले वित्त वर्ष में खुदरा बाजार में अरहर दाल के दाम 210 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुँचने के बाद सरकारी प्रयासों से पिछले कुछ महीनों में काबू आया था। लेकिन, पिछले दो सप्ताह में अरहर, मसूर, चना, मूँग और उड़द की थोक कीमतों में तेजी आ गयी है जिसका असर आने वाले समय में खुदरा बाजार में भी दिख सकता है।
सरकारी आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली के थोक जिंस बाजार में चना दाल 800 रुपये, मसूर दाल 350 रुपये, मूँग दाल 900 रुपये, उड़द दाल 950 रुपये और अरहर दाल 100 रुपये प्रति क्ंिवटल महँगी हो गई। थोक में चना दाल 6700 रुपये, मसूर दाल 5750 रुपये, मूँग दाल 6600 रुपये, उड़द दाल 7700 रुपये और अरहर दाल 6800 रुपये प्रति क्ंिवटल है। चने के दाम भी 550 रुपये प्रति क्ंिवटल बढ़ गए।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने पिछले सप्ताह लोकसभा में बताया कि पिछले रबी सत्र के 170 लाख टन की तुलना में इस रबी सत्र में दलहनों का उत्पादन बढक़र 240 लाख टन पर पहुँच गया है। इस हिसाब से आपूर्ति और माँग का अंतर समाप्त हो जाना चाहिये क्योंकि खाद्यापूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने सदन को सूचित किया कि पिछले साल माँग एवं आपूर्ति का अंतर 59 लाख टन था जो हर साल 10 लाख टन की दर से बढ़ रहा है।
पासवान ने बताया कि इसके अलावा देश में दालों का लगभग 16 लाख टन का बफर भंडार भी है। पहली बार देश में दालों का बफर स्टॉक तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि अगले दो-तीन साल में देश दालों के मामले में आत्मनिर्भर हो जायेगा।
दालों के दाम आम लोगों की पहुँच में रखने की दिशा में सरकारी प्रयासों और आयात के कारण दालों की कीमतों में कमी आई थी। सरकार ने दलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर और उस पर बोनस की घोषणा कर दलहनों की बुवाई को प्रोत्साहित किया जिससे इस रबी मौसम में इसका रकबा बढक़र करीब 160 लाख हेक्टेयर पर पहुँच गया। पिछले वित्त वर्ष के रबी मौसम में इसका रकबा करीब 144 लाख हेक्टेयर रहा था।
इस बीच पिछले दिनों बिहार के कुछ इलाकों में ओलावृष्टि से दलहन और तिलहन की तैयार फसल को नुकसान पहुँचा है। एजेंसी