नई दिल्ली। करीब एक महीने पहले 500 और 1,000 के पुराने नोट बंद करने की सरकार की घोषणा के बाद अब तक 76 प्रतिशत पुरानी करेंसी बैंकिंग प्रणाली में वापस आ चुकी है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा है कि सिर्फ पुराने नोटों को बैंक में जमा कराने से कालाधन सफेद नहीं होगा। ऐसा धन जिसका हिसाब-किताब नहीं दिया जाएगा, उस पर कर लगाया जाएगा।
सरकार की नोटबंदी की घोषणा के बाद 15.44 लाख करोड़ रुपए के पुराने नोटों में से बैंकिंग प्रणाली में 11.85 लाख करोड़ रुपए वापस आ चुके हैं।
जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि सिर्फ बैंकों में पैसा जमा कराने का मतलब यह नहीं है कि कालाधन सफेद हो गया है। यदि उस धन का हिसाब नहीं बताया जाता है तो उस पर कर देनदारी बनेगी। भुगतान के डिजिटल तरीके को प्रोत्साहन के लिए उपायों की घोषणा के लिए बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में जेटली ने कहा कि बैंकों में जमा धन की छानबीन होगी जिससे कर देनदारी का पता लगाया जा सके।
सरकार ने वित्तीय समावेशन अभियान तथा सरकारी लाभ मसलन सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खातों में डालने के लिए शून्य शेष खाते की जनधन योजना शुरू की थी। जनधन खातों में चार सप्ताह में 36,809 करोड़ रुपए की राशि जमा हुई है। हालांकि, अब इन खातों में जमा की रफ्तार धीमी पड़ी है।
जेटली ने कहा कि सरकार के लोगों को डिजिटल के लिए प्रोत्साहन तथा काफी हद तक नकद लेनदेन कम करने के प्रयास अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह राजनीतिक दलों को चंदा डिजिटल तरीके से लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, वित्त मंत्री ने कहा कि अंतत भविष्य में ऐसा ही होना है।
उन्होंने कहा कि यदि यह डिजिटल हो जाता है तो इसका मतलब है कि छोटी राशि का चंदा। यह देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा होगा। वह बार-बार यह दोहरा रहे हैं कि नकदी में लेनदेन से अर्थव्यवस्था तथा राजनीतिक प्रणाली दोनों पर लागत पड़ती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आप बड़े लोकतंत्रों में देखें तो लाखों लाख लोग राजनीतिक दलों को छोटी राशि में चंदा देते हैं।