मेक इन इंडिया की सफलता में बाधक हैं आयात निर्भर उत्पाद: एसोचैम

Samachar Jagat | Sunday, 05 Mar 2017 02:03:01 PM
Depending on the success of the product in India import barrier Assocham

नई दिल्ली। उद्योग संगठन एसोचैम ने देश में विनिर्माण को बढावा देने के मकसद के साथ शुरू की गई सरकारी पहल ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता के लिए इलेक्ट्रॉनिक और परिवहन उपकरणों जैसे आयात निर्भर उत्पादों को बाधक बताते हुए कहा है कि इन उत्पादों के आयात पर हर माह भारी संख्या में विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल होता है। 

एसोचैम की आज जारी विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, मशीनरी, स्टील और परिवहन उपकरणों को भारी मात्रा में आयात किया जाता है और इन उत्पादों के आयात पर खर्च होने वाली राशि देश के कुल मासिक आयात व्यय का 27 फीसदी हिस्सा है, जो करीब नौ अरब डॉलर की है और यह निस्संदेह बहुत बड़ी राशि है।

ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में करीब चार अरब डॉलर इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, 2.36 अरब डॉलर इलेक्ट्रिक तथा नॉन इलेक्ट्रिक मशीनरी, 1.47 अरब डॉलर परिवहण उपकरण और लगभग एक अरब डॉलर लोहे एवं स्टील के आयात पर खर्च किए जाते हैं। 

एसोचैम के अनुसार इन सामानों के अलावा अन्य उत्पाद भी आयात  किए जाते हैं जैसे कच्चा तेल, सोना और बहुमूल्य रत्न। इन उत्पादों का देश में उत्पादन नहीं किया जा सकता है और इनका आयात ज्यादातर किसी अन्य देश को दोबारा निर्यात करने के लिए किया जाता है। 

दूरसंचार, ऑटोमोबाइल और स्मार्ट कंज्यूमर डिवाइस की बढ़ती मांग की वजह से इलेक्ट्रानिक सामानों का वार्षिक आयात गत जनवरी में 24.56 फीसदी बढ़ गया। देश में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को इस्तेमाल करने वाले क्षेत्र जैसे दूरसंचार आदि का तेजी से कारोबार विस्तार हो रहा है। 

भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था को इस मौके का लाभ उठाते हुए उन उत्पादों के आयात को तेजी से कम करने पर ध्यान देना चाहिए , जो देश में बनाए जा सकते हैं और इसका एक लाभ यह भी है कि इससे देश की विनिर्माण शक्ति बढ़ेगी। 

एसोचैम का कहना है कि ऐसा आसानी से किया जा सकता है अगर इस दिशा में नीतिगत पहल की जाए और उसे पूरी पारदर्शिता और तत्परता के साथ केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा लागू किया जाए।

उद्योग संगठन के महासचिव डी एस रावत के अनुसार मेक इन इंडिया की सफलता के लिए सरकार को पहले इन आयात निर्भर उत्पादों की ओर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी भी उस उत्पाद का, जो देश में निर्मित किये जा सकते हैं, उनका भारी मात्रा में आयात मेक इन इंडिया पहल के मूल उद्देश्य के खिलाफ है।

उनका कहना है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन चुभनदा उत्पादों का निर्माण घरेलू निवेशकों या विदेशी निवेशकों के ज़रिए देश में ही हो। इसके अलावा कर का ढांचा भी ऐसा तैयार करना चाहिए कि घरेलू विनिर्माण इकाइयां आयातित उत्पादों से टक्कर ले सकें।
 



 

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