ब्रिटेन का लोकतंत्र कर्ज लेकर भागे लोगों के लिए भी उदार : जेटली

Samachar Jagat | Monday, 27 Feb 2017 05:24:01 AM
Democracy liberal enough in UK for defaulters to stay says Jaitley

लंदन। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि ब्रिटेन में लोकतंत्र इतना उदार है कि वह कर्ज लेकर भागे लोगों को भी अपने यहां आश्रय दे देता है। जाहिरा तौर पर जेटली का संकेत भारत के चर्चित शराब कारोबारी विजय माल्या की तरफ था जो भारतीय बैंकों की कानूनी कार्रवाई से बच कर इस समय ब्रिटेन में रह रहे हैं।

वित्त मंत्री ने इस ‘चलन’ तोडऩे की जरूरत बताया है। जेटली ने ऋण लेकर वापस नहीं किए जाने को एक बड़ी समस्या बताया और कहा कि भारत अब ऐसे लोगों को और छूट देने को तैयार नहीं है।

वित्त और कंपनी मामलों के मंत्री ने लंदन स्कूल ऑफ एकोनामिक्स के साउथ एशिया सेंटर द्वारा आयोजित ‘बदलता भारत अगले दशक का दृष्टिकोण’ पर आयोजित एक सत्र में कल कहा, ‘‘कई यह सोचते हैं कि जब आप बैंक से कर्ज लेते हैं तो धन को लौटाने की जरूरत नहीं है और आप लंदन आ सकते हैं तथा यहां प्रवास कर सकते हैं....और यहां लोकतंत्र इतना उदार है कि वह चूककर्ताओं को आश्रय देता है। इस परिपाटी को बदलने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह पहला मौका है जब आप मजबूत कार्रवाई देख रहे हैं। वास्तव में पहले ऐसास कभी नहीं हुआ कि जब कि चूककर्ताओं को भागना पड़ा हो। तथ्य यह है कि वे कानून से बचने के लिए भाग रहे हैं और उनकी संपत्ति कुर्क की जा रही है। यह एक संकेत है कि भारत पहली बार इसके खिलाफ खड़ा हुआ है। नहीं तो हम चूककर्ताओं को ढो ही रहे थे।’’

बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमुख माल्या करीब 1.4 अरब डॉलर बकाए की वसूली के लिए बैंकों की ओर से कड़ी कानूनी कार्रवाई किए जाने के बीच पिछले साल मार्च में ब्रिटेन चले गए।

भारत सरकार ने माल्या के प्रत्यावर्तन के लिए इस महीने के शुरू में ब्रिटेने से औपचारिक अनुरोध किया ताकि उन पर ऋण नहीं लौटाने और मनी लांड्रिंग के मामले में उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सके। भारत और ब्रिटेन के बीच 1993 से प्रत्यावर्तन समझौता है।

जेटली ने इस बात की पुष्टि करने से इनकार किया कि क्या माल्या के प्रत्यावर्तन का मुद्दा ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन तथा वित्त मंत्री फिलिप हामंड के साथ उनकी बैठकों के दौरान उठेगा। जॉनसन के साथ उनकी सोमवार को जबकि हामांड के साथ मंगलवार को बैठक होनी है।

हालांकि लंदन में वरिष्ठ अधिकारियों संकेत दिया था कि यह मुद्दा उनके एजेंडे में हो सकता है।



 

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